प्रजनन काल में अवैध शिकार पर नकेल
ढाका: बांग्लादेश ने अपनी राष्ट्रीय मछली, जिसे वहाँ इलिश भी कहा जाता है, उसके अवैध शिकार को रोकने के लिए एक बड़ा अभियान शुरू किया है। हिल्सा(Hilsa) मछली को बचाने के लिए देश ने 17 जंगी जहाजों और गश्ती हेलिकॉप्टरों (Patrol Helicopters) को तैनात किया है। 4 से 25 अक्टूबर तक हिल्सा(Hilsa) के प्रजनन वाले क्षेत्र में मछली पकड़ने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। सेना के ये जहाज और विमान दिन-रात निगरानी कर रहे हैं ताकि घरेलू और विदेशी मछुआरे गहरे समुद्र में घुसपैठ न कर सकें और प्रजनन के संवेदनशील समय में मछली के स्टॉक को नुकसान न पहुँचे। हिल्सा मछली को बांग्लादेश में ‘मां’ का दर्जा दिया गया है और यह देश के GDP में लगभग 3-4% का योगदान देती है।

आजीविका और पर्यावरण संतुलन की चुनौती
हिल्सा(Hilsa) मछली लाखों लोगों की आजीविका का मुख्य साधन है। बांग्लादेश हिल्सा मछली का वैश्विक आपूर्ति में लगभग 70% हिस्सा प्रदान करता है और भारत (विशेषकर पश्चिम बंगाल) में भी यह मछली बहुत लोकप्रिय है, जहाँ यह ₹2050 से ₹2200 प्रति किलोग्राम तक की कीमत पर बिकती है। हालांकि, पर्यावरण विशेषज्ञों ने नौसेना के जहाजों की तैनाती पर चिंता जताई है। वर्ल्ड फिश के पूर्व प्रमुख मोहम्मद अब्दुल वहाब ने कहा है कि हिल्सा(Hilsa) को प्रजनन के लिए शांत और निर्बाध पानी की आवश्यकता होती है, और नौसेना की उपस्थिति से बाधा उत्पन्न हो सकती है। उन्होंने निगरानी के लिए ड्रोन के उपयोग को बेहतर विकल्प बताया है। दूसरी ओर, सरकार ने प्रतिबंध के दौरान मछुआरों की मदद के लिए प्रत्येक परिवार को 25 किलोग्राम चावल दिया है, लेकिन कई मछुआरों का कहना है कि यह उनकी तीन सप्ताह की आजीविका के लिए पर्याप्त नहीं है।
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‘हिल्सा डिप्लोमैसी’ और द्विपक्षीय संबंध
यह मछली बांग्लादेश और भारत के बीच कूटनीतिक संबंधों का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है, जिसे ‘हिल्सा डिप्लोमैसी’ कहा जाता है। पारंपरिक रूप से, बांग्लादेश हर साल दुर्गा पूजा से ठीक पहले भारत को 1,500 से 2,000 टन तक हिल्सा मछली निर्यात करता रहा है। हालाँकि, अगस्त 2024 में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद यूनुस सरकार ने घरेलू बाजार में आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए इस निर्यात पर रोक लगा दी थी, जिससे दोनों देशों के संबंधों में कुछ खटास आई थी। हालांकि, 21 सितंबर को इस रोक को हटा दिया गया और 3000 टन हिल्सा मछली भारत भेजने की मंजूरी दी गई। यह मछली न केवल बंगाल में स्वाद के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि दोनों देशों के बीच सौहार्द और सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक भी बन चुकी है।
हिल्सा मछली के प्रजनन के लिए किस प्रकार के पानी की आवश्यकता होती है, और इस प्रक्रिया में पर्यावरण विशेषज्ञों ने किस बारे में चिंता जताई है?
यह मछली प्रजनन के लिए समुद्र के गर्म पानी से नदियों के ठंडे पानी की ओर लौटती है, और विशेषज्ञों के अनुसार इसे प्रजनन के लिए शांत और निर्बाध पानी चाहिए। उन्होंने नौसेना के जहाजों की तैनाती पर चिंता जताई है, क्योंकि इससे प्रजनन क्षेत्र की शांति भंग हो सकती है।
‘हिल्सा डिप्लोमैसी’ क्या है और इसका दोनों देशों के बीच संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ा है?
भारत और बांग्लादेश के बीच एक अनूठी परंपरा है ‘हिल्सा डिप्लोमैसी’, जिसके तहत बांग्लादेश हर साल दुर्गा पूजा से पहले भारत को हिल्सा मछली निर्यात करता है। यह परंपरा दोनों देशों के बीच सौहार्द और सांस्कृतिक रिश्तों का प्रतीक बन गई है, और इसके निर्यात पर रोक लगने से द्विपक्षीय संबंधों में खटास आने की आशंका जताई गई थी।
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