पटना । बिहार में एनडीए (NDA) के घटक दलों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर पेंच फंसा दिखाई दे रहा है। बुधवार को रामविलास पासवान की पुण्यतिथि पर उनके बेटे चिराग पासवान ने पिता को याद करते हुए कुछ ऐसे बयान दिए, जो भाजपा-जेडीयू के लिए चिंता का सबब बन सकते हैं।
चिराग पासवान के संदेश में निहित चुनौती
पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान (Ram Vilash Paswan) को याद करते हुए चिराग ने लिखा: “जुर्म करो मत, जुर्म सहो मत। जीना है तो मरना सीखो, कदम-कदम पर लड़ना सीखो।” उनके इस संदेश से एनडीए के अन्य घटक दलों में हलचल मची हुई है।
पिता के विजन को साकार करने का संकल्प
एक अन्य ट्वीट में चिराग ने लिखा कि वह अपने पिता के दिखाए मार्ग और उनके विजन “बिहार फ़र्स्ट बिहारी फ़र्स्ट”(Bihar First and Bihari First) को साकार करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में लोकतंत्र का महापर्व शुरू होने जा रहा है और आगामी चुनाव उनके पिता के संकल्प को पूरा करने का अवसर है।
लोजपा और सीट शेयरिंग पर बातचीत जारी
सूत्रों के अनुसार, एनडीए के अन्य घटक दलों के साथ सीट शेयरिंग लगभग तय हो चुकी है, लेकिन लोजपा के साथ बातचीत अभी भी जारी है। चिराग पासवान ने इस विषय पर कोई स्पष्ट टिप्पणी करने से साफ इनकार कर दिया है।
लोक जनशक्ति पार्टी का अगला कदम
चिराग ने अपने ट्वीट में कहा कि पार्टी के हर कार्यकर्ता और पदाधिकारी चाहते हैं कि आगामी चुनाव में उनके पिता के सपनों को पूरा किया जा सके। उनका यह भी संदेश है कि पिता की प्रेरणा, आशीर्वाद और आदर्श हमेशा उनके मार्गदर्शक रहेंगे।
चिराग पासवान कौन हैं?
चिराग रामविलास पासवान (जन्म 31 अक्टूबर 1982) एक भारतीय राजनीतिज्ञ और पूर्व अभिनेता हैं, जो जून 2024 से 19वें खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री , 2021 से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के पहले अध्यक्ष, 2019 से 2021 तक लोक जनशक्ति पार्टी के दूसरे अध्यक्ष और 2024 से हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से लोकसभा के सांसद हैं।
पासवान जाट पहले क्या थे?
पासवान , जिन्हें दुसाध के नाम से भी जाना जाता है, पूर्वी भारत का एक दलित समुदाय है। वे मुख्य रूप से बिहार , उत्तर प्रदेश और झारखंड राज्यों में पाए जाते हैं। उर्दू शब्द पासवान का अर्थ है अंगरक्षक या “जो रक्षा करता है”।
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