भारतीय वॉटर पोलो टीम पर ‘तिरंगे के अपमान’ का विवाद
स्पोर्ट्स डेस्क: अहमदाबाद में चल रही एशियन(Asian) एक्वाटिक्स चैंपियनशिप में भारत की मेंस वॉटर पोलो टीम विवादों में घिर गई है। खिलाड़ियों ने मैच के दौरान अपनी स्विमिंग ट्रंक (कमर के नीचे की पोशाक) पर भारत का राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा) लगाया था, जिसे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान माना गया है। यह विवाद मुख्य रूप से भारत के ध्वज संहिता 2002 और प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट्स टू नेशनल ऑनर एक्ट, 1971 के उल्लंघन से जुड़ा है, जो राष्ट्रीय ध्वज को कमर के नीचे पहने जाने वाले कपड़ों पर लगाने को स्पष्ट रूप से वर्जित करता है। इस घटना के बाद, खेल मंत्रालय और भारतीय ओलिंपिक संघ (IOA) दोनों ने स्विमिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) से तत्काल इस मामले में रिपोर्ट मांगी है।
भारतीय कानून और नियमों का उल्लंघन
भारतीय कानून राष्ट्रीय ध्वज के उपयोग और सम्मान को लेकर बेहद सख्त हैं। नियमों के अनुसार, तिरंगे का डिज़ाइन अंडरगारमेंट्स, कुशन, नैपकिन या रूमाल जैसी वस्तुओं पर छापना या कढ़ाई करना गैरकानूनी है। एशियन(Asian) एक्वाटिक्स चैंपियनशिप में सबसे महत्वपूर्ण नियम यह है कि राष्ट्रीय ध्वज को कमर के नीचे पहने जाने वाले कपड़ों पर लगाना सख्त मना है। अधिकारियों ने जोर देकर कहा कि खिलाड़ियों को तिरंगा ट्रंक पर नहीं, बल्कि स्विमिंग कैप पर लगाना चाहिए था, जैसा कि भारतीय संविधान में अनुमत है (कैप पर 32 वर्ग सेंटीमीटर तक)।
वर्ल्ड एक्वाटिक्स के नियम और SFI का बचाव
इस विवाद पर, स्विमिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) ने अपना बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने वर्ल्ड एक्वाटिक्स (Asian) के नियमों का पालन किया, जिसके तहत खिलाड़ी अपने देश के झंडे को स्विमिंग किट पर कहीं भी लगा सकते हैं। हालाँकि, SFI ने बाद में अपनी गलती स्वीकार कर ली और कहा कि उन्होंने भारतीय संवेदनशीलता को समझा है। उन्होंने यह भी पुष्टि की है कि आगे से तिरंगा केवल स्विमिंग कैप पर ही दिखाया जाएगा, न कि स्विमिंग ट्रंक पर।
राष्ट्रीय सम्मान और अंतर्राष्ट्रीय चार्टर
यह घटना खेल संगठनों के लिए एक महत्वपूर्ण सीख के रूप में सामने आई है कि अंतर्राष्ट्रीय खेल संघों के नियमों का पालन करते समय भी देश के राष्ट्रीय सम्मान और कानूनों को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए। SFI द्वारा गलती स्वीकार करना और भविष्य में राष्ट्रीय ध्वज को केवल स्विम कैप पर लगाने का निर्णय लेना, यह सुनिश्चित करता है कि खिलाड़ी खेल के अंतर्राष्ट्रीय नियमों का पालन करते हुए भी भारतीय कानून और जन भावनाओं का सम्मान करें। राष्ट्रीय ध्वज को जमीन पर गिराना या पानी में डुबोना भी अपमानजनक माना जाता है, इसलिए इसकी पवित्रता को बनाए रखना हर खिलाड़ी का कर्तव्य है।
अन्य पढ़े: Breaking News: India: इंडिया अंडर-19 ने ऑस्ट्रेलिया को 7 विकेट से हराया
IOC चार्टर की प्रासंगिकता
इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी (IOC) के चार्टर के अनुसार, किसी भी खिलाड़ी या टीम के लिए राष्ट्रीय झंडा लगाना अनिवार्य नहीं है, बल्कि यह उनकी और उनके देश की पसंद पर निर्भर करता है। इस संदर्भ में, भारतीय वॉटर पोलो टीम का तिरंगे को ट्रंक पर लगाना एक वैकल्पिक पसंद हो सकती थी, लेकिन यह राष्ट्रीय सम्मान से जुड़े देश के घरेलू कानूनों से टकरा गई।
वॉटर पोलो टीम द्वारा राष्ट्रीय ध्वज को स्विमिंग ट्रंक पर लगाना मुख्य रूप से किन भारतीय कानूनों का उल्लंघन माना गया है?
यह मुख्य रूप से भारत के ध्वज संहिता 2002 और प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट्स टू नेशनल ऑनर एक्ट, 1971 का उल्लंघन माना गया है, क्योंकि इन नियमों के तहत राष्ट्रीय ध्वज को कमर के नीचे पहने जाने वाले कपड़ों पर लगाना वर्जित है।
स्विमिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) ने इस विवाद पर अपना बचाव किस अंतर्राष्ट्रीय खेल संस्था के नियमों का हवाला देकर किया था?
SFI ने अपना बचाव वर्ल्ड एक्वाटिक्स(Asian) के नियमों का हवाला देकर किया, जिसके अनुसार खिलाड़ियों को अपने देश का झंडा स्विमिंग किट पर कहीं भी लगाने की अनुमति है। हालाँकि, उन्होंने बाद में अपनी गलती स्वीकार कर ली।
अन्य पढ़े: