తెలుగు | Epaper

Breaking News: Kartik: उत्सवों का महीना: कार्तिक मास

Dhanarekha
Dhanarekha
Breaking News: Kartik: उत्सवों का महीना: कार्तिक मास

कार्तिकेय स्वामी की कथा

हिन्दी पंचांग का आठवाँ महीना, कार्तिक(Kartik) मास, चल रहा है, जिसे उत्सवों का महीना कहा जाता है। यह महीना 5 नवंबर तक रहेगा और इसमें करवा चौथ, धन तेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज, छठ पूजा, देवउठनी एकादशी, और देव दीपावली(Dev Diwali) जैसे प्रमुख पर्व मनाए जाते हैं। इस पवित्र महीने का नामकरण भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय स्वामी के नाम पर हुआ है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, कार्तिकेय स्वामी ने इसी महीने में शक्तिशाली असुर तारकासुर(Asura Tarakasura) का वध करके देवताओं को उसके अत्याचार से मुक्ति दिलाई थी। भगवान शिव ने कार्तिकेय के इस महान पराक्रम से प्रसन्न होकर इस पूरे महीने को ‘कार्तिक'(Kartik) नाम दे दिया

तारकासुर वध की कथा और कार्तिकेय का जन्म

कथा के अनुसार, तारकासुर ने कठोर तपस्या से ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर यह वरदान मांगा था कि उसका वध केवल भगवान शिव के पुत्र के हाथों से ही हो। उस समय भगवान शिव अपनी पहली पत्नी सती के वियोग में गहरे तप में लीन थे, और तारकासुर को विश्वास था कि शिव दोबारा विवाह नहीं करेंगे, जिससे वह अमर हो जाएगा। वरदान मिलते ही उसने देवताओं को स्वर्ग से निष्कासित कर दिया और खुद स्वर्ग का राजा बन बैठा, जिससे पूरी सृष्टि में हाहाकार मच गया।

शिव-पार्वती का विवाह और कार्तिकेय का पराक्रम

तारकासुर की समस्या का समाधान करने के लिए, देवताओं ने कामदेव की सहायता से भगवान शिव की तपस्या भंग करवाई। इसी दौरान, हिमालयराज की पुत्री पार्वती शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या कर रही थीं। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी ने उनसे विवाह किया, और उनके पुत्र कार्तिकेय स्वामी का जन्म हुआ। चूँकि कार्तिकेय का पालन-पोषण कैलाश से दूर एक वन में कृतिकाओं (छह दिव्य माताओं) ने किया था, इसलिए उनका नाम कार्तिकेय पड़ा। बड़े होने पर कार्तिकेय को कैलाश पर बुलाया गया और देवताओं के अनुरोध पर उन्हें देवसेना का सेनापति बनाया गया। सेनापति बनने के बाद, कार्तिकेय ने तारकासुर से युद्ध किया और अंततः उसका वध कर देवताओं को उनका अधिकार वापस दिलाया।

अन्य पढ़े: Latest News : वृंदावन दर्शन आसान, 3KM में 7 प्रमुख मंदिर

कार्तिक स्नान और दीपदान

कार्तिक(Kartik) मास को धार्मिक रूप से अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस महीने में ब्रह्ममुहूर्त में उठकर नदी में स्नान करने की परंपरा है, जिसे कार्तिक स्नान कहते हैं। इसके अलावा, नदी किनारे, तालाबों या घर के आंगन में दीप जलाने की प्रथा है। यह दीपदान अंधकार पर प्रकाश की विजय और ज्ञान के प्रसार का प्रतीक माना जाता है। इस मास में व्रत रखना और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, धन आदि का दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है।

तुलसी पूजा और देव दीपावली

Kartik

इस मास में तुलसी पूजा का अत्यधिक महत्व है। कार्तिक शुक्ल एकादशी को तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है, जो भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप और माता तुलसी के मिलन का उत्सव है। इस महीने का समापन कार्तिक पूर्णिमा को होता है, जो सबसे पवित्र दिनों में से एक है। इस दिन देव दीपावली मनाई जाती है, विशेषकर काशी में इसका भव्य आयोजन होता है। मान्यता है कि इस दिन देवता धरती पर आकर गंगा तट पर दीप जलाते हैं, जिससे यह पूरा महीना धार्मिक अनुष्ठानों और आस्था से परिपूर्ण हो जाता है।

हिन्दी पंचांग के आठवें महीने कार्तिक का नाम किस देवता के नाम पर पड़ा और इसके पीछे मुख्य घटना क्या है?

कार्तिक(Kartik) मास का नाम भगवान शिव और पार्वती के पुत्र कार्तिकेय स्वामी के नाम पर पड़ा। इसके पीछे मुख्य घटना यह है कि कार्तिकेय ने इसी महीने में शक्तिशाली असुर तारकासुर का वध किया था।

कार्तिक मास में कौन-सी दो प्रमुख परंपराएँ हैं जो अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक हैं?

इस मास में दो प्रमुख परंपराएँ हैं जो प्रकाश की भावना का प्रतीक हैं: ब्रह्ममुहूर्त में नदी में स्नान (कार्तिक स्नान) और नदी किनारे, तालाबों या घर के आंगन में दीप जलाने (दीपदान) की परंपरा।

अन्य पढ़े:

📢 For Advertisement Booking: 98481 12870