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Latest Hindi News : अन्ननलिका : भोजन की पहली यात्रा को बनाती है आसान

Anuj Kumar
Anuj Kumar
Latest Hindi News : अन्ननलिका : भोजन की पहली यात्रा को बनाती है आसान

नई दिल्ली । आयुर्वेद में अन्ननलिका को “अन्नवह स्रोतस” का महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया है, जो शरीर में भोजन की पहली यात्रा को सहज बनाती है। हमारे शरीर की पाचन प्रणाली कई अंगों के आपसी तालमेल से काम करती है, और इनमें से सबसे जरूरी अंगों में से एक है अन्ननलिका (Frud Pipe)। यह गले से पेट तक भोजन पहुंचाने का रास्ता है, लेकिन इसका काम केवल इतना भर नहीं है।

संरचना और कार्य प्रणाली

अन्ननलिका लगभग 25 सेंटीमीटर लंबी पेशीय नली होती है, जो गले से शुरू होकर पेट तक जाती है और रीढ़ की हड्डी तथा श्वासनली के पीछे स्थित होती है। इसका ऊपरी सिरा गले से जुड़ा होता है, जबकि निचला हिस्सा सीधे पेट तक पहुंचता है। भोजन को नीचे ले जाने के लिए यह केवल गुरुत्वाकर्षण पर निर्भर नहीं करती, बल्कि अपने भीतर की मांसपेशियों के संकुचन और विस्तार की लहरों यानी परिस्टाल्टिक मूवमेंट (Paristaltik Movement) के जरिए भोजन को पेट तक पहुंचाती है।

स्पिंक्टर की भूमिका और एसिड रिफ्लक्स की समस्या

इस पूरी प्रक्रिया को नियंत्रित करने के लिए अन्ननलिका के दोनों सिरों पर स्पिंक्टर नामक द्वार होते हैं। ऊपरी स्पिंक्टर भोजन को नीचे जाने देता है, जबकि निचला स्पिंक्टर (एलईएस) पेट के अम्ल को ऊपर आने से रोकता है। जब यह कमजोर हो जाता है, तो एसिड रिफ्लक्स की समस्या शुरू हो जाती है, जिससे गले में जलन, खांसी और आवाज बैठने जैसी दिक्कतें होती हैं।

नसों और तंत्रिका तंत्र से जुड़ा गहरा संबंध

अन्ननलिका आवाज और श्वसन तंत्र से जुड़ी होने के कारण ऐसी परेशानियां अक्सर अधिक महसूस होती हैं। अन्ननलिका का नियंत्रण वेगस नर्व और स्वायत्त तंत्रिका तंत्र करते हैं। यही वजह है कि भोजन निगलने के बाद यह प्रक्रिया स्वतः चलती रहती है और हमें इसका एहसास तक नहीं होता।

स्वाद और तृप्ति की अनुभूति में भूमिका

अन्ननलिका सिर्फ भोजन पहुंचाने का माध्यम नहीं, बल्कि स्वाद और तृप्ति की अनुभूति में भी भूमिका निभाती है। जब भोजन पेट में पहुंचता है, तो अन्ननलिका की नसें दिमाग को संकेत भेजती हैं, जिससे हमें संतोष और स्वाद का अनुभव होता है।

आम बीमारियां और उनके कारण

अन्ननलिका से जुड़ी आम बीमारियों में एसिड रिफ्लक्स, संक्रमण, अल्सर, निगलने में कठिनाई और कैंसर शामिल हैं। इनमें से एसोफैजियल कैंसर को दुनिया के प्रमुख कैंसरों में गिना जाता है, जिसका मुख्य कारण तंबाकू, शराब और बहुत गर्म पेय पदार्थों का सेवन है।

आयुर्वेद में अन्ननलिका की देखभाल के उपाय

आयुर्वेद के अनुसार, अन्ननलिका को स्वस्थ रखने के लिए कुछ सरल उपाय बेहद कारगर हैं। मुलेठी, सौंफ और अजवाइन पाचन सुधारते हैं, जबकि एलोवेरा जूस, गिलोय और तुलसी इसकी सूजन और संक्रमण को कम करते हैं। दूध और केला हल्की जलन में तुरंत राहत देते हैं।

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