भारत के लिए नई चुनौती या तकनीकी साझेदारी?
इस्लामाबाद: चीन ने पाकिस्तान(Pakistan) के रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट PRSS-2 को रविवार को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेजा। यह सैटेलाइट लिजियान-1 Y8(Lijian-1 Y8) रॉकेट के जरिए उत्तर-पश्चिम चीन के कॉमर्शियल एयरोस्पेस इनोवेशन पायलट जोन से लॉन्च किया गया। ग्लोबल टाइम्स(Global Times) के अनुसार, इस मिशन में तीन सैटेलाइट — PRSS-2, AIRSAT-03 और AIRSAT-04 — को कक्षा में स्थापित किया गया है। यह लॉन्च चीन-पाकिस्तान के अंतरिक्ष सहयोग में एक और अहम कदम माना जा रहा है।
पाकिस्तान को मिली नई निगरानी क्षमता
शिन्हुआ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, लॉन्च पूरी तरह सफल रहा और सभी सैटेलाइट अपनी निर्धारित कक्षा में पहुंच गए। यह पाकिस्तान के लिए ऐतिहासिक है क्योंकि अब तक उसके पास खुद का जासूसी उपग्रह नहीं था। इस मिशन से उसकी खुफिया और निगरानी क्षमताओं में बड़ा इजाफा होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन का यह कदम पाकिस्तान(Pakistan) के स्पेस सेक्टर में आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
PRSS-2 एक उन्नत रिमोट-सेंसिंग सैटेलाइट है जिसे चीन ने डिजाइन और निर्मित किया है। इसमें हाई-रिजॉल्यूशन कैमरे लगे हैं जो पृथ्वी की सतह से 1 मीटर से कम दूरी पर इमेज कैप्चर कर सकते हैं। इसका उपयोग कृषि, शहरी नियोजन, पर्यावरण निगरानी और रक्षा क्षेत्र में किया जाएगा।
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भारत के लिए रणनीतिक संकेत
PRSS-2 को पाकिस्तान(Pakistan) के पहले सैटेलाइट PRSS-1 (2018 में लॉन्च) का अगला संस्करण माना जा रहा है। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यह सैटेलाइट पाकिस्तान की स्पेस-बेस्ड इंटेलिजेंस और बॉर्डर सर्विलांस क्षमताओं को मजबूत करेगा, जिससे दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन पर प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि भारत के लिए तत्काल खतरे की स्थिति नहीं है, क्योंकि चीन पहले से ही पाकिस्तान को तकनीकी सहयोग देता आया है।
दूसरी ओर, इस लॉन्च के जरिए चीन ने अपने कॉमर्शियल स्पेस सेक्टर की क्षमता भी प्रदर्शित की है। CAS Space द्वारा विकसित लिजियान-1 Y8 एक सॉलिड-फ्यूल रॉकेट है जो 1,500 किलोग्राम तक का पेलोड 700 किमी की सन-सिंक्रोनस ऑर्बिट में भेज सकता है।
पाकिस्तान के PRSS-2 सैटेलाइट की क्या खासियत है?
यह सैटेलाइट 1 मीटर से कम रिजॉल्यूशन पर पृथ्वी की तस्वीरें ले सकता है और इसका उपयोग कृषि, पर्यावरण और रक्षा क्षेत्रों में निगरानी के लिए किया जाएगा।
क्या भारत के लिए यह लॉन्च चिंता का विषय है?
विशेषज्ञों का कहना है कि यह तुरंत किसी खतरे का संकेत नहीं है, क्योंकि चीन पहले से पाकिस्तान की स्पेस तकनीक में मदद कर रहा है। फिर भी यह क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकता है।
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