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Latest Hindi News : लोक आस्था का महापर्व छठ” की शुरुआत, आज खरना पूजा

Anuj Kumar
Anuj Kumar
Latest Hindi News : लोक आस्था का महापर्व छठ” की शुरुआत, आज खरना पूजा

छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय के साथ हो चुकी है और आज रविवार, 26 अक्टूबर को खरना पूजा (Kharna Puja) का दिन है। व्रती महिलाओं के घरों में सूर्य षष्ठी पूजा की तैयारियां जोरों पर हैं। आज शाम सूर्यास्त के बाद खरना पूजन किया जाएगा। हर साल छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होकर सप्तमी को उगते सूर्य (Rising Sun) को अर्घ्य देने के साथ समाप्त होती है। खरना के बाद व्रती लगभग 36 घंटे का कठोर निर्जला व्रत रखती हैं।

खरना का शुभ मुहूर्त

खरना पूजा 26 अक्टूबर 2025 को की जाएगी। इस दिन सूर्योदय सुबह 6:29 बजे और सूर्यास्त शाम 5:41 बजे होगा। व्रती महिलाएं सूर्यास्त के बाद यानी शाम 5:41 बजे के बाद खरना पूजन और प्रसाद अर्पण कर सकती हैं। इस समय पूजा करने से सूर्य देव और छठी मैया (Chhati Maiya) की कृपा प्राप्त होती है।

खरना का प्रसाद

खरना में गुड़, चावल और दूध से बनी खीर मुख्य प्रसाद होती है। इसके साथ गेहूं के आटे की रोटी या पूरी बनाई जाती है। यह प्रसाद पहले सूर्य देव और छठी मैया को अर्पित किया जाता है, फिर व्रती स्वयं इसे ग्रहण करती हैं। इसी प्रसाद को खाने के बाद से व्रती 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखती हैं।

खरना पूजा विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। पूरे दिन बिना पानी पिए व्रत रखें। पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल से शुद्ध करें। सूर्यास्त के बाद फिर से स्नान करें और नए कपड़े पहनें। मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ियों से खीर बनाएं। रोटी या पूरी के साथ खीर को सूर्य देव और छठी मैया को भोग लगाएं।
पूजा पूरी होने के बाद व्रती प्रसाद ग्रहण करती हैं और फिर 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होता है, जो चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद समाप्त होता है।

खरना से जुड़ी खास बातें

खरना’ का अर्थ होता है शुद्धता। इस दिन पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। मिट्टी के नए चूल्हे और आम की लकड़ी से प्रसाद बनाना परंपरा का अहम हिस्सा है। माना जाता है कि खरना पूजा से घर का वातावरण शुद्ध और सकारात्मक बनता है तथा सूर्य देव और छठी मैया का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

पूजा कुमारी ने बताया — छठ पूजा आस्था और विश्वास का पर्व है

बिहार कि व्रती पूजा कुमारी, पूजा कुमारी, कुसुम देवी और गुंजा देवी सहित छठव्रती महिलाएं ने बताया कि “छठ पूजा हमारे जीवन का सबसे बड़ा पर्व है। यह सिर्फ पूजा नहीं, बल्कि आस्था, अनुशासन और शुद्धता का प्रतीक है। छठी मैया से हम अपने परिवार की सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना करते हैं।”
उन्होंने कहा कि “इस पर्व में हर काम पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ किया जाता है, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।”

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