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Latest News-Bihar : पिता की विरासत संभालने आई बेटियां

Surekha Bhosle
Surekha Bhosle
Latest News-Bihar : पिता की विरासत संभालने आई बेटियां

बिहार विधानसभा चुनाव में (Bihar) महिला उम्मीदवारों की अभूतपूर्व भागीदारी देखने को मिल रही है, जो राज्य के पारंपरिक राजनीतिक ताने-बाने को नया रूप दे रही है. इन प्रत्याशियों में कई ऐसी हैं जिन्हें सियासत विरासत में मिली है और वे उसे आगे बढ़ाने मैदान में उतरी हैं. इनमें आरसीपी सिंह की बेटी से लेकर पूर्व मंत्री दिग्विजय सिंह की बेटी तक शामिल हैं।

सबसे पहले बात आरसीपी सिंह की बेटी लता सिंह (Lata Singh) की करते हैं. सुप्रीम कोर्ट में वकील लता जनसुराज पार्टी के टिकट पर नालंदा जिले की अस्थावां विधानसभा सीट से लड़ रही हैं. लता का एक और परिचय है।वह IPS अधिकारी लिपि सिंह की बहन हैं. लंबे समय से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गढ़ रहे इस क्षेत्र से चुनाव लड़ रहीं लता सिंह उनके नेतृत्व का सम्मान तो करती हैं, लेकिन साथ ही उनकी आलोचना भी करती हैं. वह कहती हैं, मेरे मन में अब भी नीतीश कुमार के लिए सम्मान है, लेकिन अब वे पहले जैसे नहीं रहे. जन सुराज के जरिए हम बिहार को एक नई दिशा देना चाहते हैं

लता सिंह ने अपनी स्कूली शिक्षा दिल्ली के डीपीएस आरके पुरम से पूरी की है. उन्होंने अपना ग्रेजुएशन दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्रीराम कॉलेज से पूरा किया. इसके साथ ही उन्होंने लॉ की पढ़ाई भी दिल्ली यूनिवर्सिटी से की है. लता सिंह ने कहा कि अगर जनता ने अपना आशीर्वाद दिया तो मैं बिहार में शिक्षा में बड़ा बदलाव करना चाहूंगी क्योंकि बिना बेहतर शिक्षा के राज्य और समाज को नहीं बदला जा सकता।

मुन्ना शुक्ला की बेटी भी मैदान में

शिवानी शुक्ला: ये शुक्ला राजनीतिक परिवार की अगली पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करती हैं. शिवानी बाहुबली नेता मुन्ना शुक्ला और पूर्व विधायक अन्नू शुक्ला की बेटी हैं. वह आरजेडी की ओर से वैशाली के लालगंज से चुनाव लड़ रही हैं. शिवानी शुक्ला ने बेंगलुरु से लॉ ग्रेजुएट और ब्रिटेन के लीड्स विश्वविद्यालय से पीजी की डिग्री हासिल की हैं. वह बताती हैं, मैं तेजस्वी यादव के उम्मीदवार के रूप में लालगंज से चुनाव लड़ रही हूं. यह वह निर्वाचन क्षेत्र है जहां पहले मेरे माता-पिता प्रतिनिधित्व करते थे।

बीजेपी की ओर से जमुई से मौजूदा विधायक श्रेयसी सिंह राजनीति और खेल जगत का एक प्रमुख चेहरा बनी हुई हैं. 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक विजेता श्रेयसी सिंह पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह की पुत्री हैं. डीपीएस आरके पुरम, हंसराज कॉलेज की पूर्व छात्रा और फरीदाबाद से एमबीए की डिग्री प्राप्त, उन्होंने एक राष्ट्रीय युवा आइकन के रूप में राजनीति में प्रवेश किया और पारंपरिक क्षेत्रों से परे महिलाओं की उपलब्धि का प्रतीक बनी रहीं. साल 2020 के विधानसभा चुनाव को श्रेयसी सिंह ने करीब 80 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी. उन्होंने महागठबंधन के उम्मीदवार और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश नारायण यादव के छोटे भाई विजय प्रकाश को हराया था।

सियासी रण में चर्चित नाम दिव्या गौतम

इस लिस्ट में अगला नाम दिव्या गौतम का है. दिव्या पटना के दीघा से भाकपा-माले की प्रत्याशी हैं. वह अपने अभियान में शैक्षणिक और सामाजिक सक्रियता, दोनों का योगदान देती हैं. टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान (TISS) से पीजी, यूजीसी नेट क्वालिफ़ायर और बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा में सफल रहीं दिव्या गौतम दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की चचेरी बहन भी हैं. दिव्या कहती हैं कि उनका ध्यान शिक्षा और रोजगार के मुद्दों को राजनीति के केंद्र में लाने पर है।

अन्य पढ़ें: बिहार चुनाव : पंचायत पेंशन और पीडीएस मानदेय सहित तेजस्वी के बड़े वादे

छात्र राजनीति का एक जाना-माना चेहरा दिव्या अपने कॉलेज के दिनों से ही भाकपा(माले) और उसकी छात्र शाखा आइसा से जुड़ी रही हैं. उन्होंने पहली बार 2012 में पटना विश्वविद्यालय छात्रसंघ का चुनाव अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के रूप में लड़ा था. हालांकि वह हार गईं. पटना विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने TISS से महिला अध्ययन में पीजी की उपाधि हासिल की।

वर्षों से उन्होंने मानवाधिकारों और दलितों के मुद्दों पर काम किया है. दिव्या ने 16 अक्टूबर को अपना नामांकन पत्र दाखिल किया. दीघा विधानसभा क्षेत्र वर्तमान में बीजेपी विधायक संजीव चौरसिया के पास है. इस सीट पर पिछले दो चुनावों में बीजेपी को ही जीत मिली है. अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी के बारे में पूछे जाने पर दिव्या ने कहा, वह 10 साल से सत्ता में हैं और फिर भी बुनियादी मुद्दे वैसे के वैसे ही हैं।

जेडीयू MLC दिनेश सिंह की बेटी भी लड़ रहीं

मुजफ्फरपुर के गायघाट से जेडीयू उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रही कोमल सिंह जेडीयू एमएलसी दिनेश सिंह और वैशाली की सांसद वीणा देवी की बेटी हैं. कोमल ने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक और पुणे स्थित सिम्बायोसिस विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री हासिल की है. राजनीति में आने से पहले उन्होंने टाटा ग्रुप के साथ काम किया. कोमल सिंह ने 2020 के विधानसभा चुनाव में भी किस्मत आजमाया था, लेकिन शिकस्त मिली थी. उन्होंने गायघाट से एलजेपी के टिकट पर लड़ा था. उन्होंने 36,851 वोट हासिल किए और तीसरे स्थान पर रहीं. उस चुनाव में आरजेडी के निरंजन रॉय ने जीत हासिल की थी।

चुनाव या निर्वाचन

लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसके द्वारा जनता (लोग) अपने प्रतिनिधियों को चुनते है। चुनाव के द्वारा ही आधुनिक लोकतंत्रों के लोग विधायिका (और कभी-कभी न्यायपालिका एवं कार्यपालिका) के विभिन्न पदों पर आसीन …

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