सुरक्षित निवेश और अर्थव्यवस्था को फायदा
मुंबई: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) जल्द ही 32,000 करोड़ रुपये मूल्य की चार सरकारी सिक्योरिटीज (बॉन्ड्स) की नीलामी(Auction) (री-इश्यू) करने जा रहा है। यह नीलामी 31 अक्टूबर (शुक्रवार) को होगी और इसका सेटलमेंट 3 नवंबर (सोमवार) को किया जाएगा। यह कदम सरकार को सार्वजनिक खर्चों, जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स(Infrastructure Projects) और विकास कार्यक्रमों के लिए फंड जुटाने(Fund Raising) में मदद करेगा। चूँकि इन बॉन्ड्स पर भारत सरकार की सॉवरेन गारंटी होती है, ये निवेशकों के लिए सबसे सुरक्षित निवेश विकल्प माने जाते हैं।
आम आदमी और छोटे निवेशकों के लिए लाभ
सरकारी बॉन्ड्स की नीलामी(Auction) से प्राप्त धन का उपयोग सरकार सड़कें, स्कूल और अस्पताल जैसी बुनियादी सुविधाओं को बेहतर बनाने पर खर्च करती है। इससे रोजगार बढ़ता है और आम जनता को बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर मिलता है। इसके अलावा, ये बॉन्ड्स आम आदमी के लिए सुरक्षित निवेश का एक मौका भी प्रदान करते हैं। छोटे निवेशक नॉन-कॉम्पिटिटिव बिड के माध्यम से इस नीलामी में भाग ले सकते हैं।
अन्य पढ़े: Breaking News: FDI: सरकारी बैंकों में विदेशी निवेश को मिलेगी नई उड़ान
निवेश का तरीका और सुरक्षा
छोटे निवेशक RBI के ई-कूबर सिस्टम या बैंक/पोस्ट ऑफिस के जरिए आवेदन करके नॉन-कॉम्पिटिटिव बिड जमा कर सकते हैं। इस तरीके से, उन्हें यील्ड या कीमत बताए बिना, नीलामी में तय वेटेड एवरेज कीमत पर बॉन्ड मिलते हैं। ये बॉन्ड सरकारी गारंटी के कारण पूरी तरह से सुरक्षित होते हैं और निवेशक को मेच्योरिटी तक नियमित ब्याज मिलता रहता है, जो अक्सर फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) से बेहतर रिटर्न दे सकता है।
G-Secs (सरकारी सिक्योरिटीज) को सबसे सुरक्षित निवेश क्यों माना जाता है?
G-Secs को सबसे सुरक्षित निवेश इसलिए माना जाता है क्योंकि इन्हें केंद्र या राज्य सरकारों द्वारा जारी किया जाता है और इन पर भारत सरकार की सॉवरेन गारंटी होती है। इसका मतलब है कि डिफॉल्ट का जोखिम लगभग शून्य होता है, जिससे ये जोखिम से बचने वाले निवेशकों के लिए स्थिर और सुरक्षित रिटर्न का एक पसंदीदा विकल्प बन जाते हैं।
“मल्टीपल प्राइस मेथड” से नीलामी का क्या मतलब है?
“मल्टीपल प्राइस मेथड” का मतलब है कि नीलामी(Auction) में अलग-अलग बोली लगाने वालों को उनके द्वारा बोली लगाई गई कीमत पर बॉन्ड्स आवंटित किए जाएँगे। इसके विपरीत, “यूनिफॉर्म प्राइस मेथड” में सभी सफल बोलीदाताओं को एक ही कट-ऑफ कीमत पर बॉन्ड मिलते हैं। यह तरीका प्रतिस्पर्धी बोली लगाने वालों को उनकी विशिष्ट बोली के आधार पर आवंटन सुनिश्चित करता है।
अन्य पढ़े: