हैदराबाद । कृषि विभाग द्वारा आयोजित होने वाले रैतु नेस्थम (Rythu Nestham) कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित 74वें कार्यक्रम में तेलंगाना के कृषि मंत्री तुम्मला नागेश्वर राव (Nageswara Rao) ने भाग लिया और किसानों को मृदा परीक्षण रिपोर्ट वितरित करने के कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
मृदा परीक्षण करवाने से भूमि में पोषक तत्वों का प्रतिशत पता चलेगा
इस अवसर पर किसानों को संबोधित करते हुए कृषि मंत्री तुम्मला नागेश्वर राव ने कहा कि मृदा परीक्षण करवाने से प्रत्येक किसान को अपनी भूमि में पोषक तत्वों का प्रतिशत पता चल जाएगा और इस प्रकार, फसल की खेती के लिए उपयोग किए जाने वाले उर्वरक की मात्रा का पता चल जाएगा। उन्होंने कहा कि इसलिए, मृदा परीक्षण रिपोर्ट के आधार पर उर्वरकों का उपयोग करने से न केवल किसानों के लिए उर्वरकों की लागत कम होगी बल्कि भूमि के स्वास्थ्य की भी रक्षा होगी। इसी प्रकार, पानी की पहुंच वाले प्रत्येक किसान को धान और कपास की फसलों के बजाय पाम ऑयल की खेती करनी चाहिए, क्योंकि इससे अधिक आय होगी, और सरकार पाम ऑयल की खेती के लिए सीडलिंग, ड्रिप और इंटरक्रॉपिंग की खेती को प्रोत्साहित कर रही है।

पाम ऑयल की खेती कर रहे दो किसानों की सफलता की कहानी साझा की
इस अवसर पर महबूबाबाद जिले में पाम ऑयल की खेती कर रहे आर. गोपाल रेड्डी और नलगोंडा जिले के राम चंद्र रेड्डी की सफलता की कहानियाँ सभी किसानों के साथ साझा की गईं। कृषि विश्वविद्यालय की वैज्ञानिक डॉ. माधवी ने मृदा परीक्षण पत्रों के परिणामों के माध्यम से उर्वरकों के प्रयोग की विधि समझाई। कृषि विभाग के निदेशक डॉ. बी. गोपी, बागवानी विभाग की निदेशक श्रीमती यास्मीन बाशा, विपणन विभाग की निदेशक श्रीमती लक्ष्मी बाई, तथा कृषि, बागवानी, पशुपालन, विपणन विभागों के वरिष्ठ अधिकारी और किसान इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
मिट्टी की जांच में कितना खर्च आता है?
उदाहरण के लिए Krishi Vigyan Kendra Trichy में एक मिट्टी के (soil) नमूने की जांच की लागत लगभग ₹100 + GST है।
Soil कितने प्रकार के होते हैं?
Alluvial Soil (ऑलूवियल): भारत में बहुत विस्तृत, नदी-उपत्यकों व मैदानों में।
Black Soil (काली/रिगुर मिट्टी): मुख्य रूप से देक्कन भाग में, नमी बनाए रखने में सक्षम।
Red & Yellow Soil: लौह ऑक्साइडों से धातु-रंग वाला, कुछ नाइट्रोजन की कमी होती है।
Laterite Soil: वर्षा एवं ऊँचाई वाले क्षेत्रों में, लवणता अधिक हो सकती है।
Desert/Arid Soil (रेगिस्तानी मिट्टी): पश्चिमी भारत के शुष्क इलाकों में, पानी-रोक क्षमता कम।
Saline & Alkaline Soil: लवणता अथवा क्षारीयता अधिक, उपजाऊता कम।
घर पर मृदा परीक्षण कैसे करें?
नमूना लें — परीक्षण क्षेत्र (उदाहरण: बगीचा, पॉट, खेत) को चुनें। मिट्टी को लगभग 6-8 इंच (≈15-20 सेमी) की गहराई से हाथ या छोटी खुरपी (shovel) द्वारा चुनें।
मिश्रण करें — अलग-अलग बिंदुओं से लिए गए छोटे नमूनों को एक बाल्टी/बर्तन में मिलाएं ताकि मिश्रित नमूना तैयार हो।
सूखाएँ — नमूने को धूप में या ठंडी हवा में फैला कर सूखने दें, फिर किसी साफ पैपर या बैग में रखें।
प्राप्त करें परीक्षण किट या भेजें प्रयोगशाला — यदि घर पर परीक्षण किट है, तो उसके निर्देशानुसार pH, NPK आदि मापें; या प्रयोगशाला को भेजें। उदाहरण के लिए छोटे-पैमाने परीक्षण सेवा ₹300 से शुरू होती है।
परिणाम प्राप्त करें एवं सुझाव लें — प्रयोगशाला या सेवा द्वारा रिपोर्ट आती है जिसमें मिट्टी की स्थिति, पोषक तत्वों की कमी, सुझाव आदि दिए जाते हैं।
कार्रवाई करें — रिपोर्ट के अनुसार जैव-उर्वरक (organic manure), रासायनिक उर्वरक (chemical fertiliser) या अन्य सुधारात्मक कदम उठाएँ।
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