अमेरिकी प्रतिबंधों का असर और संभावित मूल्य वृद्धि
नई दिल्ली: भारत अब रूस(Russia) से कच्चे तेल के आयात में कमी करने की तैयारी कर रहा है। यह निर्णय अमेरिका द्वारा रूस की सरकारी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर लगाए गए नए प्रतिबंधों के बाद लिया गया है, जो 21 नवंबर 2025 से लागू होंगे। डेटा रिसर्च फर्म केप्लर के अनुसार, भारत के प्रमुख रिफाइनर इन प्रतिबंधों का पालन करेंगे। रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) रोसनेफ्ट से तेल खरीद बंद करेगी, जबकि मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (MRPL) भी रूसी तेल की खरीद घटाएगी। इसके अतिरिक्त, एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी लिमिटेड (HMEL) पहले ही रूसी तेल का आयात रोक चुकी है। इन तीन कंपनियों की भारत के कुल रूसी कच्चे तेल आयात में 50% से अधिक की हिस्सेदारी है, जिसके कारण दिसंबर में आयात में तेज गिरावट होने की संभावना है।
प्रतिबंधों का पालन न करने पर जुर्माना और पेट्रोल-डीजल पर असर
अमेरिकी ट्रेजरी ने कंपनियों को 21 नवंबर 2025 तक रोसनेफ्ट और लुकोइल के साथ लेन-देन समाप्त करने का समय दिया है। यदि भारतीय रिफाइनर इन प्रतिबंधों का पालन नहीं करते हैं, तो उन्हें जुर्माना, ब्लैकलिस्टिंग या व्यापार प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। रूसी(Russia) तेल सस्ता था, लेकिन प्रतिबंधों के कारण अब भारत को मध्य पूर्व या अमेरिका जैसे महंगे वैकल्पिक स्रोतों से तेल खरीदना पड़ेगा। रूसी तेल भारत के कुल आयात का एक बड़ा हिस्सा था, इसलिए आयात के स्रोतों में बदलाव से रिफाइनिंग लागत बढ़ेगी और इसका सीधा असर पेट्रोल और डीजल के घरेलू दामों पर दिख सकता है।
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यूक्रेन युद्ध के बाद सस्ता रूसी तेल और ट्रम्प का बयान
वर्ष 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद, रूसी(Russia) तेल विश्व बाज़ार में सस्ता हो गया था। भारत, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है, ने अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए इसका बड़े पैमाने पर आयात किया। भारतीय सरकार के आंकड़ों के अनुसार, 2022 से देश ने लगभग 140 अरब डॉलर मूल्य का रियायती रूसी तेल खरीदा, जिसे रिफाइन कर घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में बेचा गया। इस बीच, व्हाइट हाउस में एक बयान में डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से बात की है और भारत साल के अंत तक रूसी तेल की खरीद शून्य कर देगा। उन्होंने पहले भी रूस से तेल खरीदने के कारण भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया था।
अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण भारत में पेट्रोल और डीजल के दामों पर क्या संभावित असर पड़ सकता है?
अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण भारत को सस्ते रूसी तेल की जगह मध्य पूर्व या अमेरिका जैसे महंगे वैकल्पिक स्रोतों से तेल खरीदना पड़ेगा। इससे रिफाइनिंग लागत बढ़ जाएगी, जिसका असर पेट्रोल और डीजल के खुदरा दामों पर भी दिख सकता है।
भारत के कुल रूसी कच्चे तेल आयात में लगभग कितने प्रतिशत की हिस्सेदारी रखने वाली कंपनियों ने आयात घटाने या बंद करने की घोषणा की है?
रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL), मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (MRPL) और एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी लिमिटेड (HMEL) जिनकी हिस्सेदारी भारत के कुल रूसी कच्चे तेल आयात में 50% से अधिक रही है, उन्होंने आयात घटाने या बंद करने की घोषणा की है।
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