नई दिल्ली। यहां के सरकारी अस्पतालों के हालात बेहद खराब हैं। यहां मरीजों को न तो डॉक्टर (Doctor) की फीस देनी होती है और न ही पैसे खर्च कर दवाएं खरीदनी पड़ती हैं, लेकिन अब दिल्ली के सरकारी अस्पताल (Government Hospital) मरीजों का इलाज करते-करते खुद बीमार हो गए हैं।
जरूरी दवाओं और मेडिकल सामानों की भारी कमी
राजधानी के कई अस्पताल लाइफ सेविंग दवाओं और जरूरी मेडिकल सामानों की भारी कमी से जूझ रहे हैं। इलाज के लिए आने वाले मरीजों को इनहेलर, रुई, पट्टी, इंजेक्शन, सलाइन बोतल जैसी बुनियादी चीजें भी बाहर से खरीदनी पड़ रही हैं।
प्रदूषण से बढ़े मरीज, अस्पतालों की हालत और बिगड़ी
दिल्ली में प्रदूषण स्तर बढ़ने से सांस और फेफड़ों की बीमारियों के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। ऐसे में इन्हेलर जैसे लाइफ सेविंग डिवाइस की मांग भी बढ़ी है, लेकिन अस्पतालों में इनकी भारी किल्लत है।
यहां तक कि टिटनेस-रेबीज वैक्सीन, सलाइन वॉटर, इंसुलिन जैसी जरूरी चीजें भी महीनों से उपलब्ध नहीं हैं।
डॉक्टर बोले -दवाओं की कमी से इलाज प्रभावित
डॉक्टरों का कहना है कि पिछले कुछ महीनों में जरूरी दवाओं की कमी पहले से ज्यादा बढ़ गई है। इससे न सिर्फ इलाज प्रभावित हो रहा है बल्कि गरीब मरीजों को बाजार से महंगी दवाएं खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
कई बड़े अस्पतालों में हालात बेहद खराब
खबरों के मुताबिक, दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले लोक नायक जयप्रकाश (LNJP) अस्पताल, लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल (पूर्वी दिल्ली) और अंबेडकर अस्पताल (रोहिणी) में जरूरी दवाओं की भारी कमी है। वहीं राजन बाबू टीबी अस्पताल में भी पिछले तीन महीनों से इनहेलर की किल्लत बनी हुई है।
अस्पताल प्रशासन ने दिया भरोसा
एलएनजेपी अस्पताल प्रशासन का कहना है कि दवाओं की यह कमी अस्थायी है। दवाओं की खरीद पूरी हो चुकी है और जल्द ही अस्पतालों में आपूर्ति शुरू होगी।
लाल बहादुर शास्त्री और अंबेडकर अस्पताल में भी संकट
पूर्वी दिल्ली के लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि वैक्सीन की कमी के कारण मरीजों को दूसरे अस्पतालों में रेफर करना पड़ रहा है। यहां तक कि साधारण सलाइन भी पिछले पांच महीने से स्टॉक में नहीं है। वहीं रोहिणी के अंबेडकर अस्पताल में मेरोपेनम, इट्राकोनाज़ोल, मल्टीविटामिन, सोडियम बाइकार्बोनेट और एंटी-सीज़र इंजेक्शन जैसी दवाएं बार-बार खत्म हो जाती हैं, जिससे मरीजों को बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं।
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