नई दिल्ली । गहरी नींद और अच्छे स्वास्थ्य (Health) का प्राकृतिक रहस्य है आयुर्वेदिक रात्रिचर्या। दिनभर की भागदौड़ और तनाव के बाद जब शरीर विश्राम करता है, तभी वह अगले दिन के लिए नई ऊर्जा जुटा पाता है आयुर्वेद में इसे ‘रात्रिचर्या’ कहा गया है यानी रात में अपनाई जाने वाली वे आदतें जो न केवल नींद की गुणवत्ता सुधारती हैं, बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य को भी संतुलित रखती हैं।
मानसिक डिटॉक्स : तनाव और चिंताओं को मन से हटाएं
सोने से पहले कुछ सरल आदतें अपनाने से नींद गहरी होती है और मन शांत रहता है। सबसे पहले दिनभर के तनाव और चिंताओं को मन से निकाल दें। कुछ गहरी सांसें लेकर खुद को शांत करें—यह मानसिक डिटॉक्स है। गुनगुने पानी (Hot Water) से पैर धोना शरीर का तापमान संतुलित करता है और नींद जल्दी लाता है।
तलवों पर घी या तेल की मालिश
तलवों पर थोड़ा घी या नारियल तेल लगाकर मालिश करने से तंत्रिका तंत्र शांत होता है और नींद गहरी होती है।
नाभि और नाक में तेल डालने के फायदे
नाभि में 2 बूंद घी या सरसों तेल डालने से पाचन सुधरता है और त्वचा को पोषण मिलता है। नाक में अणु तेल या घी डालने से मानसिक थकान दूर होती है और दिमाग शांत होता है।
सोने से पहले के पेय: हल्दी, जायफल या अश्वगंधा दूध
हल्दी दूध, जायफल दूध या अश्वगंधा दूध मांसपेशियों को आराम देता है और नींद स्वाभाविक रूप से गहरी बनाता है। मोबाइल, टीवी और लैपटॉप की नीली रोशनी मेलाटोनिन हार्मोन को बाधित करती है—इसलिए सोने से पहले स्क्रीन से दूर रहें।
हल्का संगीत, मंत्र या सुगंध का उपयोग
मंत्र, हल्का संगीत या ‘ॐ शांति’ सुनना मन को सुकून देता है। चंदन या लैवेंडर की सुगंध नींद को सहज बनाती है।
प्रार्थना और आभार से बढ़ती है सकारात्मक ऊर्जा
सोने से पहले प्रार्थना या आभार प्रकट करने से मन हल्का होता है और सकारात्मकता बढ़ती है। आयुर्वेद के अनुसार, बाईं करवट सोना पाचन के लिए सबसे अच्छा माना गया है। रात 9:30 से 10 बजे के बीच सोना स्वास्थ्य के लिए सबसे उत्तम बताया गया है।
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