नई दिल्ली। दिल्ली धमाके की जांच में चौंकाने वाले खुलासे लगातार सामने आ रहे हैं। जांच एजेंसियां अब एक ऐसे नए एंगल पर काम कर रही हैं, जिसने पूरे मामले को और गंभीर बना दिया है। अल-फलाह यूनिवर्सिटी की लैब में ग्लासवेयर एंट्री (Glassware Entry) कंज्यूमेबल रिकॉर्ड (Consumebale Record) और केमिकल उठान के डेटा में मेल नहीं मिल रहा है, जिससे शक की सुई आतंकी मॉड्यूल की ओर घूम गई है।
लैब रिकॉर्ड में गड़बड़ी—ग्लासवेयर और केमिकल गायब
जांच में सामने आया है कि कई ग्लासवेयर की एंट्री दर्ज है, लेकिन खपत या टूट-फूट का कोई रिकॉर्ड नहीं है। शक है कि ये सामान और केमिकल छोटे-छोटे बैच में बाहर ले जाए गए। इन्हें शैक्षणिक गतिविधियों के नाम पर छिपाया गया था।
अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में सख्ती बढ़ी
जम्मू-कश्मीर में अब अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों, (PHC) सहित कई स्वास्थ्य संस्थानों में लॉकरों की सघन जांच शुरू हो गई है। पुलिस और स्वास्थ्य विभाग यह सुनिश्चित करने में जुटे हैं कि लॉकरों का दुरुपयोग न हो।
जैश-ए-मोहम्मद के हैंडलर ने आरोपी डॉ. मुजम्मिल अहमद गनई को बम बनाने से जुड़े 42 वीडियो भेजे थे, जो उसके फोन से मिले हैं।
NIA की त्वरित कार्रवाई—तीन डॉक्टरों से आमने-सामने पूछताछ
एनआईए ने डॉ. मुजम्मिल, डॉ. शाहीन और डॉ. अदील को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ शुरू की है।
एजेंसियों के मुख्य सवाल:
- लैब से निकलने वाला केमिकल चुनता कौन था?
- मिक्सिंग/ब्लेंडिंग की वैज्ञानिक प्रक्रिया किसने बनाई?
- ग्लासवेयर और छोटे कंटेनरों का इस्तेमाल कहां हुआ?
एजेंसियों का मानना है कि यह मॉड्यूल हाई-इंटेलेक्ट साइंटिफिक नेटवर्क था।
दिल्ली ब्लास्ट—अब तक 15 मौतें, 20 से अधिक घायल
10 नवंबर को लाल किला मेट्रो स्टेशन पार्किंग में हुए कार ब्लास्ट में 15 लोगों की मौत और 20 से ज्यादा घायल हुए थे। अब तक छह लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
अस्पतालों को बना रहे थे हथियारों का ठिकाना
जांच में सामने आया कि यह मॉड्यूल अस्पतालों को हथियारों और विस्फोटक सामग्री संग्रहीत करने के ठिकाने के रूप में इस्तेमाल कर रहा था। यह तरीका हमास की रणनीति जैसा बताया जा रहा है, जो नागरिक और अस्पताल क्षेत्रों का इस्तेमाल हथियारों के लिए करता है। गांदरबल और कुपवाड़ा के अस्पतालों में लगातार तलाशी अभियान जारी है।
पूर्व डीजीपी का दावा—1990 जैसा पैटर्न लौट रहा
पूर्व डीजीपी ने कहा कि 1990 में भी आतंकी अस्पतालों को हथियारों के ठिकाने के रूप में इस्तेमाल करते थे। आर्मी और पुलिस ने उस वक्त ऐसे ठिकानों को खत्म किया था, लेकिन अब फिर उसी पैटर्न की वापसी दिख रही है।
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