Delhi AQI crisis : दिल्ली में जानलेवा स्मॉग एक बार फिर लौट आया है। सर्दियों की शुरुआत होते ही राजधानी की हवा और गहरी, भारी और जहरीली हो जाती है, जिससे करोड़ों लोगों की सांसें तक प्रभावित होती हैं। लगातार बढ़ते प्रदूषण का असर इतना गंभीर है कि लाल किला भी काले रंग में बदलता जा रहा है। यह समस्या न सिर्फ स्वास्थ्य का संकट है बल्कि एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा भी बन चुका है।
इसी गंदी हवा के खिलाफ लोग इंडिया गेट पर विरोध प्रदर्शन करने उतरे। एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि वह बस दोबारा खुलकर सांस लेना चाहती है। विशेषज्ञों का कहना है कि (Delhi AQI crisis,) पिछले कई दशकों से योजनाएं बनती आई हैं, लेकिन हवा हर साल और जहरीली होती जा रही है।
पटाखे, पराली जलाना और भारी ट्रैफिक—ये सब मिलकर सर्दियों में प्रदूषण को खतरनाक स्तर पर ले जाते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि छोटे बच्चों के फेफड़े सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं और यह स्थिति बच्चों के लिए बेहद डरावनी है।
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प्रदूषण घटाने के लिए सरकार ने बादलों में कृत्रिम बारिश करवाने की कोशिश की, लेकिन पर्याप्त नमी न होने के चलते यह प्रयास विफल रहा। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरीके से सिर्फ दो दिन की राहत मिल सकती थी, समस्या की जड़ पर कोई असर नहीं होता।
लाल किले की दीवारों पर पड़ रही काली परतें दिखाती हैं कि दिल्ली की हवा में कितने खतरनाक कण मौजूद हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति ऐतिहासिक धरोहरों और आम लोगों दोनों के लिए गंभीर खतरा है।
एक याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई है कि प्रदूषण को राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया जाए। लोगों का आरोप है कि सरकार असली स्रोतों पर कार्रवाई नहीं कर रही और सिर्फ दिखावटी उपाय अपनाए जा रहे हैं।
जैसे-जैसे दिल्ली की हवा “बहुत खराब” से “गंभीर” श्रेणी में पहुंची, सरकार ने स्कूलों को हाइब्रिड मोड में कर दिया, निर्माण कार्य रोक दिए और सबसे प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को बैन कर दिया। प्रदर्शनकारी कहते हैं कि सरकार उनसे मिलने को तैयार नहीं, इसलिए वे सड़क पर उतरने को मजबूर हुए हैं।
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