Supreme Court SIR order : सुप्रीम कोर्ट ने विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) के तहत काम कर रहे बूथ लेवल ऑफिसरों (BLO) के मामले में राज्य सरकारों को सख्त निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि जो कर्मचारी इस कार्यभार को सहन नहीं कर पा रहे हैं, उन्हें राज्य सरकारें तुरंत बदलें, लेकिन BLO कर्मचारियों की कथित परेशानी के नाम पर मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया को बाधित नहीं किया जा सकता।
4 दिसंबर 2025 को हुई सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि नौ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में चल रहे SIR के दूसरे चरण को तय समयसीमा में पूरा किया जाना अनिवार्य है। जरूरत पड़ने पर राज्य सरकारें अतिरिक्त कर्मियों की तैनाती कर सकती हैं ताकि BLO का कार्यभार कम हो।
अदालत ने स्पष्ट किया कि BLO के रूप में नियुक्त राज्यकर्मियों का यह कानूनी दायित्व है कि वे उन्हें सौंपे गए वैधानिक कार्यों को पूरा करें, जिसमें मतदाताओं तक गणना फॉर्म पहुंचाना भी शामिल है।
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कोर्ट ने कहा कि BLO को हो रही कठिनाइयों को दूर करना पूरी तरह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। यदि किसी कर्मचारी के पास व्यक्तिगत या विशेष कारणों से (Supreme Court SIR order) छूट का अनुरोध हो, तो राज्य सरकार मामले की समीक्षा कर ऐसे कर्मचारियों को बदल सकती है।
पीठ ने यह भी रेखांकित किया कि राज्य सरकारें चुनाव आयोग को आवश्यक मानव संसाधन उपलब्ध कराने के लिए बाध्य हैं, ताकि SIR प्रक्रिया समय पर पूरी हो सके।
यह टिप्पणी उन याचिकाओं पर आई, जिनमें दावा किया गया था कि BLO पर अत्यधिक दबाव डाला जा रहा है और लक्ष्य पूरे न कर पाने की वजह से वे मानसिक तनाव में हैं।
चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने इन आरोपों को निराधार बताया। उन्होंने कहा कि आयोग की व्यवस्था के अनुसार प्रत्येक मतदान केंद्र पर अधिकतम 1,200 मतदाता ही हैं और BLO को 4 नवंबर से 11 दिसंबर तक कुल 37 दिन का समय दिया गया है।
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