नई दिल्ली । वर्तमान समय की तेज़-तर्रार जिंदगी में तनाव, चिंता और अनिद्रा आम समस्याएं बन चुकी हैं। तनाव और चिंता रोजमर्रा के काम और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं। इन समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए ‘माइंडफुल ब्रीदिंग’ (Mindful Breathing) यानी सजग श्वास एक सरल और असरदार उपाय के रूप में उभर रही है। आयुष मंत्रालय के अनुसार, प्रतिदिन सुबह या शाम कुछ मिनटों का अभ्यास मानसिक शांति और ऊर्जा बढ़ाने के साथ ही तन-मन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।
क्या है माइंडफुल ब्रीदिंग?
यह तकनीक न केवल मुफ्त और सरल है, बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी प्रमाणित है। माइंडफुल ब्रीदिंग का मूल सिद्धांत है—वर्तमान पल में जागरूक रहकर गहरी सांस लेना। इसमें सांस की हर गति को महसूस किया जाता है और ध्यान केवल सांस पर केंद्रित रहता है। इसे माइंडफुलनेस मेडिटेशन (Mindful Meditation) का सबसे आसान रूप माना जाता है।
शोध क्या कहते हैं?
शोध बताते हैं कि नियमित अभ्यास से कॉग्निटिव कंट्रोल बेहतर होता है और एंग्जाइटी तथा तनाव से निपटना आसान हो जाता है। नियमित माइंडफुल ब्रीदिंग से तनाव और चिंता में राहत मिलती है, ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) और हार्ट रेट नियंत्रित रहते हैं, नींद बेहतर होती है और गुस्सा व नकारात्मक विचारों पर काबू करने में आसानी होती है।
कौन-कौन से लाभ मिलते हैं?
इस अभ्यास से एकाग्रता और फोकस बढ़ता है, इमोशनल बैलेंस बना रहता है और इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों के लिए लाभदायक माना गया है।
अंतरराष्ट्रीय शोध भी करता है समर्थन
वाशिंगटन विश्वविद्यालय के माइंडफुलनेस साइंस एंड प्रैक्टिस रिसर्च क्लस्टर के अनुसार, माइंडफुलनेस का उद्देश्य बिना किसी पूर्वाग्रह या जजमेंट के वर्तमान पल पर ध्यान देना है। यह तनाव को कम करने और फोकस बढ़ाने में प्रभावी साबित होती है। विभिन्न अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि माइंडफुलनेस चिंता के लक्षणों को कम करने में कारगर है।माइंडफुल ब्रीदिंग न केवल मानसिक शांति पाने का आसान तरीका है, बल्कि यह शरीर और मन के संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
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