Land For Job Scam मामले में लालू यादव (Lalu Yadav) तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) और परिवार के अन्य सदस्यों को दो दिनों की राहत मिल गई है। दिल्ली की अदालत में आज इस चर्चित मामले की अहम सुनवाई हुई, जिसमें चार्ज फ्रेमिंग पर फैसला दो दिनों के लिए स्थगित कर दिया गया। अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी। सीबीआई को अदालत ने सभी अभियुक्तों की अद्यतन स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। इससे पहले 4 दिसंबर को राउज एवेन्यू कोर्ट ने भी इसी मामले में चार्ज तय करने का फैसला टाल दिया था।
मुकदमे की वर्तमान स्थिति
विशेष सीबीआई न्यायाधीश विशाल गोगने (Vishal Gogne) ने कहा कि सीबीआई को आरोपियों की स्थिति की पुष्टि करके रिपोर्ट दाखिल करनी होगी। इस मामले में कुल 103 आरोपी हैं, जिनमें से चार की मौत हो चुकी है। विस्तृत सुनवाई के लिए मामला पहले आठ दिसंबर के लिए सूचीबद्ध किया गया था।
क्या है लैंड फॉर जॉब स्कैम?
सीबीआई के अनुसार, लालू यादव, उनकी पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, उनके बेटे और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव सहित अन्य आरोपियों ने 2004-2009 के बीच रेल मंत्रालय के समय ग्रुप-डी नियुक्तियों में अनियमितताएं कीं। अभियोजन का दावा है कि नियुक्तियों के बदले राजद प्रमुख के परिवार या उनके सहयोगियों को भूखंड दिए गए। यह नियुक्तियां नियमों का उल्लंघन करते हुए की गई थीं।
अगला कदम
अगली सुनवाई में अदालत चार्ज फ्रेमिंग पर अंतिम फैसला करेगी और सीबीआई को अद्यतन रिपोर्ट पर ध्यान देने का निर्देश है। इससे मामले की आगे की दिशा स्पष्ट होगी।
लालू यादव कब जेल गए थे?
चारा घोटाला मामले में लालू यादव को जेल भी जाना पड़ा और वे कई महीने तक जेल में रहे भी। लगभग सत्रह साल तक चले इस ऐतिहासिक मुकदमे में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट के न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने लालू प्रसाद यादव को वीडियो कान्फ्रेन्सिंग के जरिये 3 अक्टूबर 2013 को पाँच साल की कैद व पच्चीस लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।
तेज प्रताप यादव को क्यों निकाला गया?
25 मई 2025 को राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव द्वारा गैरजिम्मेदाराना व्यवहार और ईमानदारी और पारिवारिक मूल्यों के अनुरूप न रहने के कारण तेज प्रताप यादव को आधिकारिक तौर पर छह साल के लिए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से हटा दिया गया था।
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