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Latest Hindi News : AI-एआई से नकली डिग्री का धंधा तेज, शिक्षा जगत में मची हलचल

Anuj Kumar
Anuj Kumar
Latest Hindi News : AI-एआई से नकली डिग्री का धंधा तेज, शिक्षा जगत में मची हलचल

नई दिल्ली,। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग जहां शिक्षा के डिजिटलीकरण, ई-लर्निंग और स्किल डेवलपमेंट को नई दिशा दे रहा है, वहीं इसका काला पक्ष भी तेजी से सामने आ रहा है। एआई और ग्राफिक जनरेशन टूल्स की मदद से कुछ लोग अब फर्जी डिग्री, मार्कशीट (Marksheet) और यहां तक कि स्वास्थ्य प्रमाणपत्र तक मिनटों में तैयार कर रहे हैं और उन्हें मोटी रकम में बेच रहे हैं। कई मामलों में विश्वविद्यालय का नाम, सीरियल नंबर, ग्रेडिंग सिस्टम और सिक्योरिटी फीचर्स तक इतनी सटीकता से कॉपी किए जाते हैं कि असली-नकली में फर्क करना बेहद मुश्किल हो जाता है।

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो ने बढ़ाई चिंता

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर एआई से तैयार फर्जी सर्टिफिकेट (Certificate) बनाने वाले वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं। इंस्टाग्राम समेत कई प्लेटफॉर्म्स पर दिखाया जा रहा है कि कैसे कुछ क्लिक में असली जैसी मार्कशीट या मेडिकल सर्टिफिकेट बनाया जा सकता है। कुछ वीडियो में तो फर्जी दस्तावेज उपलब्ध कराने वाली वेबसाइटों तक का प्रचार किया जा रहा है, जिससे मामला और गंभीर हो गया है।

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बिना डिजिटल वेरिफिकेशन के पकड़ना मुश्किल

कंप्यूटर साइंस विभाग के प्रोफेसर्स का कहना है कि एआई जनित नकली डिग्रियों की गुणवत्ता इतनी सटीक हो चुकी है कि बिना किसी डिजिटल सत्यापन प्रणाली के उन्हें पकड़ पाना लगभग असंभव हो गया है। विशेषज्ञों के अनुसार, ब्लॉकचेन आधारित वेरिफिकेशन, नेशनल अकैडमिक डिपॉजिटरी (NAD) और सुरक्षित डिजिटल रिकॉर्ड सिस्टम अब अनिवार्य हो चुके हैं।
सरकारी डिग्रियों में होलोग्राम, वॉटरमार्क, कलर-कोड और सिक्योरिटी पैटर्न होते हैं, लेकिन एआई टूल्स इन फीचर्स की भी प्रभावी नकल कर पा रहे हैं।

निजी कंपनियों ने बढ़ाई सतर्कता, सख्त हुई भर्ती प्रक्रिया

बढ़ते खतरे को देखते हुए निजी कंपनियों ने भी भर्ती प्रक्रिया में अतिरिक्त सतर्कता अपनाई है। कई एचआर हेड का कहना है कि अब हर उम्मीदवार की डिग्री और मार्कशीट सीधे विश्वविद्यालय या सरकारी पोर्टल के माध्यम से ही सत्यापित की जा रही है। उनके अनुसार, केवल दस्तावेज देखकर भरोसा करना अब संभव नहीं, क्योंकि कई उम्मीदवार अपने सीवी में भी गलत जानकारी शामिल कर देते हैं।

सुझाव: डिजिटल वेरिफिकेशन सिस्टम ही एकमात्र रास्ता

विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में एआई आधारित फर्जीवाड़ा और तेजी से बढ़ सकता है। ऐसे में शिक्षा संस्थानों, सरकारी एजेंसियों और निजी कंपनियों को मजबूत डिजिटल वेरिफिकेशन सिस्टम अपनाना होगा। साथ ही, आम लोगों में भी जागरूकता जरूरी है, ताकि वे असली और नकली दस्तावेजों के बीच फर्क समझ सकें।

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