नई दिल्ली। बांग्लादेश ने अपने हालिया इतिहास के सबसे अहम लोकतांत्रिक चरण की ओर कदम बढ़ाते हुए आम चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) एएमएम नासिर उद्दीन ने राष्ट्र के नाम संबोधन में बताया कि 12 फरवरी 2026 को मतदान कराया जाएगा। वोटिंग सुबह 7:30 बजे से शाम 4:30 बजे तक होगी।
इसी दिन मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस (Mohammad Yunus) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय सहमति आयोग द्वारा सुझाए गए सुधार प्रस्तावों पर जनमत संग्रह भी होगा। यह जनमत संग्रह देश की भविष्य की राजनीतिक व प्रशासनिक दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
दो बैलेट के कारण मतदान अवधि बढ़ी
आयोग ने मतदान समय में एक घंटे की बढ़ोतरी की है। मतदाताओं को दो बैलेट डालने होंगे—एक आम चुनाव के लिए और दूसरा जनमत संग्रह के लिए।
यह घोषणा सीईसी की राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन से मुलाकात के एक दिन बाद की गई। राष्ट्रपति ने आयोग को भरोसा दिया है कि सरकार चुनाव को पूरी तरह स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाने के लिए हर संभव सहयोग देगी।
नामांकन से प्रचार तक—पूरी चुनावी समयरेखा जारी
- नामांकन जमा करने की अंतिम तिथि: 29 दिसंबर
- नामांकन पत्रों की जांच: 30 दिसंबर से 4 जनवरी
- नामांकन वापसी की अंतिम तिथि: 20 जनवरी
- अंतिम उम्मीदवार सूची: 21 जनवरी
- चुनावी प्रचार: 22 जनवरी से 10 फरवरी सुबह 7:30 बजे तक
इस घोषणा के साथ ही देश में आचार संहिता लागू हो गई है। अब चुनावी दलों को 48 घंटों के भीतर अपने पोस्टर-बैनर हटाने होंगे।
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यूनुस ने कहा—यह चुनाव देश के लिए ‘ऐतिहासिक’
अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार और नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस ने कहा है कि फरवरी में होने वाला चुनाव बांग्लादेश के लोकतांत्रिक भविष्य में मील का पत्थर साबित होगा।
उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों से कहा कि यदि यह प्रक्रिया सफल रही तो आने वाली पीढ़ियाँ भी इसे ‘ऐतिहासिक’ करार देंगी। यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने सत्ता संभालते ही अवामी लीग को भंग कर दिया था। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना फिलहाल भारत में रह रही हैं।
शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद पहली बड़ी परीक्षा
यह चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अगस्त 2024 में छात्र आंदोलनों के प्रबल होते ही शेख हसीना की अवामी लीग सरकार को पद छोड़ना पड़ा था।देश तब से अंतरिम व्यवस्था के तहत चल रहा है और यह पहला राष्ट्रीय चुनाव होगा जो व्यापक राजनीतिक बदलाव की शुरुआत का संकेत देता है।
बीएनपी और जमात—मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभरे
अवामी लीग के हटने के बाद राजनीतिक मैदान में अब दो दल प्रमुख रूप से उभरे हैं—
- बीएनपी (बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी)
- जमात-ए-इस्लामी
दोनों दल 300 सीटों वाली संसद के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर चुके हैं।
बीएनपी महासचिव मिर्जा फलहरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा है कि पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान, जो पिछले 17 वर्षों से लंदन में निर्वासन में हैं, बहुत जल्द बांग्लादेश लौटेंगे, और उनके लौटने का असर पूरे देश में देखा जाएगा।
एनसीपी भी चुनावी मैदान में, छात्र आंदोलन से निकला नया राजनीतिक चेहरा
फरवरी 2024 में गठित नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) भी चुनाव में सक्रिय भूमिका निभा रही है।
यह पार्टी छात्रों के संगठन स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन (SAD) की राजनीतिक शाखा है—वही समूह जिसने पिछले साल हसीना सरकार के खिलाफ शक्तिशाली छात्र आंदोलन चलाया था।हालांकि इसके दो शीर्ष नेताओं ने हाल ही में अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है, लेकिन संगठन अब भी युवाओं के बीच मजबूत आधार रखता है।
मुहम्मद यूनुस कौन हैं?
मुहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) बांग्लादेश के अर्थशास्त्री, सामाजिक उद्यमी और नागरिक नेता हैं, जिन्हें ‘गरीबों के बैंकर’ के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने माइक्रोक्रेडिट (सूक्ष्म-ऋण) और माइक्रोफाइनेंस की अवधारणा को बढ़ावा दिया, जिसके लिए उन्हें 2006 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला. उन्होंने ग्रामीण बैंक की स्थापना की, जो गरीबों, खासकर महिलाओं को छोटे कर्ज देता है, और 2024 में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार बने.
मोहम्मद यूनुस बिहार के कौन थे?
मोहम्मद यूनुस (4 मई, 1884 – 13 मई, 1952) ब्रिटिश भारत के बिहार प्रांत के पहले प्रधानमंत्री थे। उनके कार्यकाल के दौरान, प्रांतीय सरकारों के प्रमुखों को प्रधानमंत्री कहा जाता था। उन्होंने 1937 में राज्य के पहले लोकतांत्रिक चुनाव के दौरान तीन महीने तक शासन किया ।
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