सूर्य, बुध और शुक्र करेंगे एक ही राशि में युति
अगस्त 2025 में त्रिग्रही योग (Trigrahi Yog) का शुभ संयोग (shubh sanyog) बन रहा है जब तीन प्रमुख ग्रह — सूर्य, बुध और शुक्र — एक ही राशि में प्रवेश करेंगे। इस संयोग को ज्योतिष में बेहद शुभ माना जाता है।
त्रिग्रही योग का प्रभाव
त्रिग्रही योग जब शुभ ग्रहों से बनता है, तो यह
- समृद्धि
- प्रसिद्धि
- मानसिक शांति
जैसे फल प्रदान करता है। यह योग कई क्षेत्रों में प्रगति और सौभाग्य का सूचक होता है।
Trigrahi Yog 2025: ज्योतिष शास्त्र अनुसार जब भी त्रिग्रही योग का निर्माण होता है तो उसका असर सभी राशियों पर पड़ता है। लेकिन हम आपको ऐसी तीन राशियों के बारे में बताएंगे जिनके लिए ये योग अति शुभ साबित होगा। जानिए ये कौन सी राशियां हैं।
Trigrahi Yog 2025: त्रिग्रही योग तब बनता है जब तीन ग्रह किसी राशि में एक साथ विराजमान होते हैं। अगस्त में ये योग मिथुन राशि में बनने जा रहा है। इस राशि में दो सबसे शुभ ग्रह शुक्र और गुरु पहले से ही मौजूद हैं और अब 18 अगस्त 2025 को चंद्रमा भी इस राशि में प्रवेश कर जायेगा। ऐसे में ये तीनों ग्रह मिलकर मिथुन राशि में त्रिग्रही योग का निर्माण करेंगे। ये योग 20 अगस्त तक बना रहेगा। ज्योतिष शास्त्र अनुसार इस योग से तीन राशि वालों की किस्मत चमक जाएगी।
त्रिग्रही योग से मिथुन राशि वालों को लाभ
त्रिग्रही योग मिथुन राशि वालों के लिए बेहद शुभ रहेगा। आपकी आमदनी बढ़ेगी। हर काम में भाग्य का साथ मिलेगा। विद्यार्थियों के लिए काफी अच्छा समय रहेगा। सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे लोगों को अच्छे परिणाम मिलेंगे। स्वास्थ्य में सुधार होने के योग हैं। आर्थिक स्थिति पहले से बढ़िया हो जाएगी।
कन्या राशि वालों को नौकरी में लाभ
त्रिग्रही योग कन्या राशि वालों को नई नौकरी के अवसरों में वृद्धि लेकर आएगा। बिजनेस में भी अच्छा लाभ प्राप्त करने में सफल रहेंगे। शादी की बाद पक्की हो सकती है। शिक्षा के क्षेत्र में भी सफलता मिलेगी। दांपत्य जीवन सुखद रहेगा। आपकी सुख-सुविधाओं में वृद्धि होगी।
तुला राशि वाले जमकर कमाएंगे पैसा
इस अवधि में तुला राशि वाले जमकर पैसा कमाएंगे। करियर-कारोबार में वृद्धि होगी। आपकी नेतृत्व क्षमता में जबरदस्त वृद्धि होगी। यह योग भाग्योदय और सम्मान में वृद्धि लाता है। जिस कार्य में हाथ डालेंगे उसमें सफलता मिलेगी।
त्रेतायुग की आयु कितनी थी?
शास्त्रों में त्रेतायुग की अवधि लगभग 12 लाख 28 हजार मानी गई है। वहीं धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, त्रेता युग की शुरुआत वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि से हुई थी। माना जाता है कि इस युग में मनुष्य की आयु लगभग 10,000 वर्ष होती थी और तीर्थ नैमिषारण्य था।
त्रेतायुग में किसका जन्म हुआ था?
संस्कृत में त्रेता का अर्थ है ‘तीन वस्तुओं का संग्रह’, और इसे ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि त्रेता युग में, विष्णु के तीन अवतार हुए थे: पाँचवाँ, छठा और सातवाँ अवतार, क्रमशः वामन , परशुराम और राम ।