वाशिंगटन। विज्ञान और तकनीक ने फिर असंभव को संभव किया है। अमेरिका के कोलंबिया यूनिवर्सिटी फर्टिलिटी सेंटर (CUFC) में एक दुर्लभ मेडिकल केस में, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से एक इसतरह के पुरुष के वीर्य में अदृश्य शुक्राणु खोज निकाले गए, जिसे डॉक्टरों ने वर्षों पहले अपूर्ण शुक्राणुता के कारण संतानोत्पत्ति में असमर्थ घोषित किया था। इस चमत्कारी खोज ने उस दंपती की जिंदगी बदल दी जो बीते 18 वर्षों से संतान के लिए संघर्ष कर रहे थे।
दुनिया भर में यह पहला मामला है जिसमें महिला एआई तकनीक स्टार की मदद से गर्भवती हुई है। एजोस्पर्मिया एक गंभीर पुरुष प्रजनन समस्या (Male Fertility Problems) है जिसमें पुरुष के वीर्य में कोई मापने योग्य शुक्राणु नहीं होता। आमतौर पर इसतरह के मामलों में आईवीएफ तकनीक भी असफल हो जाती है, क्योंकि निषेचन के लिए शुक्राणु ही नहीं मिलते।
रिकवरी (स्टार) नामक एक विशेष एआई-आधारित प्रणाली का उपयोग किया
सीयूएफसी के वैज्ञानिकों ने इस केस में शुक्राणु ट्रैकिंग और रिकवरी (स्टार) नामक एक विशेष एआई-आधारित प्रणाली का उपयोग किया। यह तकनीक माइक्रोस्कोपिक स्तर पर शुक्राणुओं की गतिविधि का पता लगाने में सक्षम है, ऐसी गतिविधियाँ जिन्हें इंसानी आंखों से देख पाना असंभव होता है। इन्हीं शुक्राणुओं को प्रयोगशाला में पत्नी के अंडाणुओं के साथ मिलाकर आईवीएफ प्रक्रिया को अंजाम दिया गया।
दुनिया की पहली महिला जो एआई-आधारित स्टार तकनीक से गर्भवती हुई हैं
यह महिला अब दुनिया की पहली महिला बन गई हैं जो एआई-आधारित स्टार तकनीक से गर्भवती हुई हैं। प्रजनन विशेषज्ञों का मानना है कि यह खोज भविष्य में लाखों उन दंपतियों के लिए आशा की किरण हो सकती है जो एजोस्पर्मिया जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। डॉ. एलिज़ाबेथ मार्क्स, जो तकनीक पर शोध से जुड़ी रही हैं ने कहा, स्टार तकनीक प्रजनन विज्ञान में एआई की क्रांतिकारी क्षमता का प्रमाण है। यह टेक्नोलॉजी उन मामलों में भी समाधान दे सकती है जहां पहले केवल निराशा मिलती थी
भारत में संभावनाएं
भारत जैसे देश, जहां बांझपन की समस्या तेजी से बढ़ रही है, वहां इस तकनीक का प्रवेश एक गेम चेंजर साबित हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि स्टार तकनीक भारत में पहुंचती है, तब लाखों असहाय दंपतियों को नया जीवन मिल सकता है।
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