कॉकरोच, घर की धूल के कण और पार्थेनियम हिस्टेरोफोरस के कारण होती है एलर्जी
हैदराबाद। एलर्जी से पीड़ित अधिकांश रोगी कोनोकार्पस (Conocarpus) पौधे और उसके पराग के अलावा तिलचट्टों और घरेलू धूल के कण से भी प्रभावित पाए गए। वर्ल्ड एलर्जी फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. व्याकरणम नागेश्वर ने एलर्जेन सेंसिटाइजेशन एनालिसिस (Analysis) रिपोर्ट-2025 के आंकड़े जारी करते हुए कहा कि 42% लोग कोनोकार्पस पौधे और उसके पराग के कारण विभिन्न प्रकार की एलर्जी से पीड़ित हैं। इसके अलावा, सबसे अधिक एलर्जी कॉकरोच, घर की धूल के कण और पार्थेनियम हिस्टेरोफोरस के कारण होती है।
ऑटोइम्यून हो रही थी एलर्जी
उन्होंने कहा कि 2020 के कोविड के बाद, प्रतिरक्षा प्रणाली में परिवर्तन अधिक स्पष्ट हो रहे थे और एलर्जी ऑटोइम्यून हो रही थी। इसके अलावा, जब विभिन्न प्रकार की एलर्जी के कारण होठों, कानों में सूजन, सांस लेने में बहुत कठिनाई और पूरे शरीर में चकत्ते हो जाते हैं। डॉ. व्याकरणम ने कहा कि अगर एंजियोएडेमा जैसी स्थितियों को नजरअंदाज किया जाता है, तो एनाफिलैक्सिस नामक जानलेवा स्थिति होने की संभावना होती है। उन्होंने कहा कि एनाफाइलैक्टिक शॉक के रोगी की पहचान करने, उसके लक्षणों को देखने, उसे अस्पताल ले जाने और उपचार प्रदान करने के बीच केवल 5 मिनट का समय होता है और यह जीवन के लिए खतरा हो सकता है।

मरीजों की संख्या में हो रही है वृद्धि
डॉ. व्याकरणम ने बताया कि कोविड से पहले वे हर महीने एंजियोएडेमा (एनाफिलैक्सिस) और ऑटोइम्यूनिटी जैसी बीमारियों के एक या दो मामले देखते थे, लेकिन अब वे हर दिन एक ऑटोइम्यून एलर्जी मरीज देख रहे हैं और एंजियोएडेमा (एनाफिलैक्सिस) के मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, अगर हम एलर्जी के बारे में सतर्क नहीं हैं, तो यह जानलेवा हो सकती है।
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