तिरुमला : देश भर से आए विभिन्न कला समूहों की रंगारंग प्रस्तुतियों (Colourful performances) ने सोमवार को हनुमंत वाहन सेवा में आध्यात्मिक आकर्षण बिखेरा। 18 विभिन्न राज्यों के 607 कलाकारों सहित कुल 26 कला समूहों ने अपनी शानदार प्रस्तुतियों से भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया। केरल के यक्षगानम (Navadurga ), पांडिचेरी लोक नृत्य, तमिलनाडु के मैलाट्टम और कर्नाटक के पिन्नल अंडाल नृत्य जैसे पारंपरिक नृत्यों ने अपने-अपने क्षेत्रों की संस्कृति और विविधता को दर्शाया।
उड़ीसा, पंजाब, छत्तीगढ़ , बिहार समेत कई राज्यों के कलाकारों ने किया प्रदर्शन
हरियाणा, हिमाचल प्रदेश के पारंपरिक नृत्य रूपों और दिल्ली के चौमयूर बांज प्रदर्शनों ने उत्तर की कलात्मक विविधता को प्रदर्शित किया। जम्मू और कश्मीर के रौफ नृत्य और पंजाब के लुधी नृत्य ने उनकी जीवंत लोक संस्कृति को दर्शाया, जबकि उड़ीसा के प्रसिद्ध संबलपुडी नृत्य और अनोखे गौतिपु नृत्य भक्तों के लिए एक मनोरम दृश्य थे। छत्तीसगढ़ के पांती नृत्य और बिहार के कलाकारों ने समाचकेवा नृत्य ने मध्य भारत की पारंपरिक शैली का प्रदर्शन किया। मणिपुर के माईबिजागोई नृत्य ने अपनी नृत्य शैली से सभी का मन मोह लिया। कई अन्य प्रस्तुतियाँ भी विशेष आकर्षण रहीं और श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। भक्तों ने हनुमान वाहनम की भक्ति और विभिन्न कलाओं का आनंद लेते हुए दोहरी खुशी का भरपूर आनंद लिया।

यह सेवा श्री राम और हनुमान के बीच के अटूट बंधन का प्रतीक
हनुमंत वाहन सेवा, तिरुमला में चल रहे वार्षिक ब्रह्मोत्सव के छठे दिन आयोजित होने वाला एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। वाहन सेवा सोमवार सुबह 8 बजे से 10 बजे के बीच हुई, जिसमें श्री मलयप्पा स्वामी को श्री कोदंड राम के रूप में सुसज्जित करके हनुमान वाहन पर सवार होकर मंदिर नगरी के चार माडा मार्गों पर भक्तों को आशीर्वाद देते हुए ले जाया गया। यह सेवा श्री राम और हनुमान के बीच के अटूट बंधन का प्रतीक है और भक्तों द्वारा इसे अत्यधिक आध्यात्मिक उत्थान का क्षण माना जाता है। हनुमान भक्तों में सर्वोपरि माने जाते हैं और अपनी निस्वार्थ भक्ति और सेवा के लिए पूजनीय हैं। यह वाहन सेवा वेदांतिक शिक्षाओं और गुरु (राम) और शिष्य (हनुमान) के बीच एकता पर ज़ोर देती है, और भक्ति और समर्पण के आदर्श गुणों पर प्रकाश डालती है। तिरुमाला के पुजारी, ईओ अनिल कुमार सिंघल, जेई वीरब्रह्मम और अन्य भी उपस्थित थे।
तिरूमला पर्वत कहाँ स्थित है?
तिरूमला पर्वत भारत के आंध्र प्रदेश राज्य में स्थित है।
यह पर्वत शृंखला चित्तूर ज़िले में है और यहीं प्रसिद्ध श्री वेंकटेश्वर मंदिर (तिरुपति बालाजी मंदिर) स्थित है।
तिरूमला पर्वत सप्तगिरी (सात पहाड़ियों) से मिलकर बना है, जिनमें से एक पर भगवान वेंकटेश्वर का मंदिर स्थित है।
तिरुमला से तिरुपति की दूरी कितनी है?
तिरुपति से तिरूमला की दूरी लगभग 20 किलोमीटर है।
इस दूरी को गाड़ी से तय करने में लगभग 30 से 45 मिनट लगते हैं।
भक्त पैदल भी तिरुपति से तिरूमला की यात्रा करते हैं — खासकर अलिपिरी मार्ग (9 किमी) और श्रीवारी मेट्टू मार्ग (2.1 किमी) से।
तिरुपति बालाजी कब जाना चाहिए?
तिरुपति बालाजी मंदिर पूरे वर्ष दर्शन के लिए खुला रहता है, लेकिन कुछ समय श्रद्धालुओं की भीड़ और मौसम के अनुसार अधिक अनुकूल माने जाते हैं:
सबसे अच्छा समय (Best Time to Visit):
- नवंबर से फरवरी (सर्दियों का मौसम) – मौसम सुहावना होता है और भीड़ भी थोड़ी कम हो सकती है।
अत्यधिक भीड़ के समय:
- ब्राह्मोत्सवम (सितंबर-अक्टूबर) – यह तिरुपति का सबसे बड़ा त्योहार है; भीड़ बहुत ज़्यादा होती है।
- रोज़ाना शनिवार, रविवार और त्योहारों पर – दर्शन के लिए लंबा इंतज़ार हो सकता है।
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