तिलक का महत्व: हिंदू धर्म में तिलक लगाना एक प्राचीन और आवश्यक रीति है। कोई भी धार्मिक अनुष्ठान, पूजा या उत्सव बिना माथे पर तिलक लगाए अपूर्ण माना जाता है। तिलक न एकमात्र सम्मान का संकेत है, बल्कि इसके गहरे धार्मिक और वैज्ञानिक लाभ भी हैं। देवी-देवताओं, योगियों और संतों के पेशानी पर तिलक का प्रयोग साधारण देखा जाता है।
पेशानी पर तिलक लगाने से मनुष्य के जीवन में कई सुनिश्चित बदलाव आते हैं। तिलक लगाने से जीवन में सुनिश्चित और , प्रसन्नता-शांति का संचार होता है। ज्योतिषीय मान्यता मुताबिक, तिलक से कुंडली के उग्र ग्रह स्थिर होते हैं। विशेष रूप से चंदन का तिलक लगाने से गृह में संपन्नता और खुशकिस्मती बढ़ता है।

तिलक मनुष्य के मान-सम्मान और यश में भी वृद्धि करता है। नियमित तिलक करने से अज्ञात में किए गए गुनाह का ह्रास होता है और ऋणात्मक शक्तियों से हिफ़ाज़त मिलती है। साथ ही, मानसिक एकाग्रता बढ़ने से कार्य योग्यता में भी वृद्धि होती है।

स्कंद पुराण के मुताबिक, भिन्न अंगुलियों से तिलक लगाने के भिन्न लाभ बताए गए हैं। अंगूठे अंगुली से तिलक करने से शांति प्राप्त होती है। मध्यमा अंगुली से तिलक करने से उम्र में वृद्धि होती है।

अंगूठे से तिलक करने से व्यक्ति का आरोग्य अच्छा रहता है और तर्जनी यानी इंडेक्स अंगुली से तिलक करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस प्रकार, तिलक लगाने की रीति-रिवाज न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि मनुष्य के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास में भी सहायक होती है।