भूमि पेडनेकर(Bhumi Pednekar) का बॉलीवुड सफर आसान नहीं रहा। अपने डेब्यू के लिए उन्हें लगातार ढाई महीने तक ऑडिशन देने पड़े। मूवी थी “दम लगाके हईशा”, जिसमें उन्होंने एक साधारण लेकिन दमदार महिला का पात्र निभाया था। भूमि ने इस सिनेमा के लिए 20 किलो वजन तक बढ़ाया और शूटिंग के वक्त उनका वजन लगभग 90 किलो था।
जब 45 बार सिनेमाघर में देखी खुद की फिल्म
यह सिनेमा जब रिलीज हुई, तो भूमि को दर्शकों से भरपूर सराहना मिली। उन्होंने बताया कि वह सिनेमा से इतनी जुड़ी हुई थीं कि लगातार 45 दिनों तक रोज एक शो चलचित्रालय (Movie Theater) में जाकर देखा। इस सिनेमा ने उन्हें अभिनय की दुनिया में पहचान दिलाई।
सामाजिक विषयों पर आधारित भूमि के यादगार किरदार
इस मूवी में भूमि ने अक्षय कुमार के साथ ‘जया’ का पात्र निभाया, जो महिलाओं की स्वच्छता और स्वास्थ्य जैसे विषय पर आधारित था। भूमि का अभिनय इस भूमिका में इतना प्रभावशाली था कि दर्शकों को सोचने पर विवश कर दिया।

बधाई दो — लैवेंडर मैरिज पर खुलकर बात
भूमि ने इस सिनेमा में एक समलैंगिक महिला का किरदार निभाया, जो एक समलैंगिक पुरुष से शादी करती है। राजकुमार राव के साथ उनका यह प्रयास समलैंगिकता जैसे संवेदनशील विषय को समाज के सामने सकारात्मक रूप में पेश करता है।
सांड की आंख — चंद्रो तोमर की प्रेरक बायोपिक
भूमि ने इस मूवी में शूटर दादी चंद्रो तोमर का किरदार निभाया। यह भूमिका न केवल चुनौतीपूर्ण थी, बल्कि इसमें उन्होंने उम्र, भाषा और शैली की सभी सीमाएं पार कर अभिनय को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
डोसा किंग और भीड़ जैसी फिल्मों में साहसी महिला किरदार
‘भीड़’ में भूमि पेडनेकर एक पत्रकार बनीं, जो बिहार के एक शेल्टर होम में हो रहे यौन शोषण की सच्चाई सामने लाती है। वहीं, ‘डोसा किंग’ में उन्होंने चंबल की घाटियों से एक बच्ची को बचाने वाली महिला की भूमिका निभाई, जो काफी प्रभावशाली रही।