सांगली से जयश्री पाटिल भाजपा में शामिल
राजनीतिक समीकरणों में बड़ा बदलाव
महाराष्ट्र के सांगली ज़िले में कांग्रेस पार्टी को एक बड़ा राजनीतिक झटका तब लगा, जब पार्टी की वरिष्ठ नेता जयश्री पाटिल ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थाम लिया। यह बदलाव आने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए काफी अहम माना जा रहा है।
जयश्री पाटिल का राजनीतिक सफर
जयश्री पाटिल सांगली में कांग्रेस की एक मजबूत चेहरा मानी जाती थीं। उन्होंने वर्षों तक पार्टी के लिए काम किया और स्थानीय जनता के बीच उनकी पकड़ मजबूत रही है।
स्थानीय राजनीति में प्रभाव
सांगली जिले की राजनीति में उनका खासा असर रहा है, खासकर ग्रामीण इलाकों में। वह महिला सशक्तिकरण और शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय रही हैं।
महाराष्ट्र के सांगली में वसंतदादा पाटिल परिवार का एक बड़ा समूह आखिरकार भाजपा में शामिल हो गया है. विधानसभा चुनाव में बागी होकर सांगली जिला केंद्रीय सहकारी बैंक की उपाध्यक्ष जयश्री पाटिल भाजपा में शामिल हो गईं. इससे सांगली की राजनीति में भाजपा को मजबूती मिली है और कांग्रेस के गढ़ रहे दादा परिवार से एक बड़ा समूह पार्टी में शामिल हो गया है।
जयश्री पाटिल वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री स्वर्गीय मदन पाटिल की पत्नी हैं. उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने इससे पहले जयश्री पाटिल से उनके निवास पर मुलाकात की थी. उसके बाद जयश्री पाटिल बुधवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, महाराष्ट्र बीजेपी प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले और अन्य नेताओं की उपस्थिति में भाजपा में शामिल हुईं।
पहले पालकमंत्री चंद्रकांत पाटिल के साथ भाजपा विधायक सुधीर गाडगिल, जिला अध्यक्ष सम्राट महाडिक, जनसुराज्य के समित कदम, भाजपा के शेखर इनामदार, सीबी पाटिल व अन्य नेता जयश्री पाटिल के निवास पर पहुंचे. स्थानीय निकाय चुनाव से पहले मदन पाटिल गुट को भाजपा के साथ लाने के लिए भाजपा के राज्यस्तरीय नेताओं ने जयश्री पाटिल से संपर्क किया था. विधानसभा चुनाव में बगावत।
विधानसभा में टिकट नहीं मिलने से थीं नाराज
जयश्री पाटिल को विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया गया था. उन्होंने बगावत करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ा था. इसके बाद कांग्रेस ने उन्हें निलंबित कर दिया था. इसके बाद उन्होंने अलग राजनीतिक राह अपनाने का फैसला किया. कुछ दिन पहले उन्होंने कार्यकर्ताओं की राय मांगी थी. उन्हें भाजपा और एनसीपी से ऑफर मिले थे. आखिरकार उन्होंने भाजपा में शामिल होने का फैसला किया।
सांगली विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने अब तक 16 चुनाव जीते हैं. इनमें से पांच चुनाव वसंतदादा पाटिल की मदद से जीते. 1980 में इंदिरा गांधी के आग्रह पर वसंतदादा पाटिल ने खुद चुनाव लड़ा था. उसके बाद वसंतदादा पाटिल के परिवार के सदस्यों ने लगातार दस चुनाव लड़े और जीते. वसंतदादा पाटिल के साथ-साथ शालिनीताई पाटिल, प्रकाश बापू पाटिल, मदन पाटिल, प्रतीक पाटिल और विशाल पाटिल अब तक लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं।
सांगली चुनाव में वसंतदादा परिवार का दबदबा
2009 में प्रतीक पाटिल के जीतने के बाद उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री बनाया गया. हालांकि, 2014 के चुनाव में प्रतीक पाटिल हार गए. उसके बाद 2019 में विशाल पाटिल को कांग्रेस ने लोकसभा का उम्मीदवार नहीं बनाया. सांगली सीट शेतकरी संगठन के लिए छोड़ दी गई. विशाल पाटिल ने 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा. हालांकि, इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को महागठबंधन से सीट नहीं मिली. इस वजह से विशाल पाटिल ने बगावत कर दी और निर्दलीय सांसद चुने गए.