WB: सरकारी स्कूलों में पढ़नी होगी ममता की लिखी किताबें, गरमायी सियासत

By Anuj Kumar | Updated: June 25, 2025 • 1:59 PM

कोलकाता। पश्चिम बंगाल (West Bengal) सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को अब राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (CM Mamta Banarjee )द्वारा लिखी गई किताबों को पढ़ना पड़ेगा। इस आशय के जारी आदेश में कहा गय है कि सभी सरकारी स्कूलों को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा लिखी गई 19 किताबें रखीं जाऐं। ने के लिए कहा गया है। ये किताबें हर स्कूल में खरीदी जानी जरूरी है। इस आदेश के बाद एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है।

मुख्यमंत्री बनर्जी द्वारा लिखी गई 19 किताबें भी शामिल हैं

स्कूल शिक्षा आयुक्त ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि पुस्तकालयों में 515 किताबें रखी जाएं। इन किताबों में मुख्यमंत्री बनर्जी द्वारा लिखी गई 19 किताबें भी शामिल हैं। भाजपा की सूचना प्रौद्योगिकी सेल के प्रमुख और पश्चिम बंगाल के लिए पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षक अमित मालवीय ने इस घटना पर राज्य सरकार का मज़ाक उड़ाया है। उन्होंने दावा किया है कि तृणमूल कांग्रेस के शासन में स्कूली बच्चों को भी घोटाले से नहीं बख्शा जा रहा है।

मालवीय ने एक बयान में कहा कि एक और दिन, तृणमूल कांग्रेस का एक और घोटाला! ममता बनर्जी के बंगाल में, स्कूली बच्चों को भी भ्रष्टाचार से नहीं बख्शा जा रहा है। एक अजीब और शर्मनाक कदम में, पश्चिम बंगाल के सरकारी स्कूलों को 1 लाख रुपये का अनुदान पाने के लिए ममता बनर्जी की लिखी गई 19 किताबें खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है। हां, आपने सही पढ़ा – सार्वजनिक धन, जिसका उपयोग बुनियादी ढांचे और शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए किया जाना चाहिए, अब मुख्यमंत्री की व्यर्थ परियोजनाओं के विपणन के लिए उपयोग किया जा रहा है।

कदम करदाताओं के पैसे का दुरुपयोग है

मालवीय ने दावा किया कि कोई भी छात्र ममता बनर्जी के बेतुके साहित्यिक उत्पादन से दंडित होने का हकदार नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग (Education Department)का यह कदम करदाताओं के पैसे का दुरुपयोग है। इसका इस्तेमाल फर्जी किताबों की बिक्री और पिछले दरवाजे से रॉयल्टी के माध्यम से तृणमूल कांग्रेस के खजाने को भरने के लिए किया जा रहा है। अमित मालवीय ने आगे कहा कि चुनाव से पहले काले धन को सफेद धन में बदलने का एक और तरीका? हिंसा, बेरोजगारी और शिक्षा में राजनीतिक हस्तक्षेप के माध्यम से बंगाल के युवाओं के भविष्य को नष्ट करने के बाद, ममता बनर्जी अब व्यक्तिगत और राजनीतिक लाभ के लिए स्कूल पुस्तकालयों का मुद्रीकरण कर रही हैं। हम चुप नहीं रहेंगे। हम तृणमूल कांग्रेस को शिक्षा को लूटने नहीं देंगे। हम बंगाल के भविष्य को प्रचार के लिए बिकने नहीं देंगे।

शिक्षक संघों ने भी जताई आपत्ति

पश्चिम बंगाल के विभिन्न शैक्षणिक संघों ने भी इस कदम की आलोचना की है। शिक्षक शिक्षकर्मी शिक्षणनुरागी ऐक्य मंच के महासचिव किंकर अधिकारी के अनुसार, राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग को इस मामले में राज्य द्वारा संचालित स्कूलों को दिए गए निर्देश को तुरंत वापस लेना चाहिए। इस पूरे मामले में कई सवाल उठ रहे हैं। क्या सरकार स्कूलों को किताबें खरीदने के लिए मजबूर कर सकती है? क्या यह छात्रों के हित में है कि उन्हें मुख्यमंत्री द्वारा लिखी गई किताबें पढ़ने के लिए मजबूर किया जाए? क्या यह करदाताओं के पैसे का दुरुपयोग नहीं है? इन सवालों के जवाब अभी तक नहीं मिले हैं।

सुकांत मजूमदार ने साधा निशाना

दक्षिण दिनाजपुर से सांसद और राज्य भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने तीखी आलोचना की। उन्होंने इसे हिटलरशाही का उदाहरण बताया है। उन्होंने कहा कि यह हिटलरशाही का उदाहरण है। हिटलर ऐसे ही काम जर्मनी में करता था। हाल ही में खबरें आई थीं कि स्कूलों के पास चॉक और डस्टर खरीदने के लिए भी पैसे नहीं हैं। ऐसे में यह जनता के पैसों की लूट है। मुख्यमंत्री की पुस्तकों को जबरन शामिल करना अस्वीकार्य है। उन्होंने कटाक्ष किया कि यह किताब पन्ने फाड़ कर ठोंगा के अलावा किसी काम में आने वाली नहीं है। उन्होंने आगे सवाल किया कि अगर उन्हें लेखक बनने का इतना शौक है, तो उन्हें खुले बाजार में किताबें बेचने दें।

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