महिंद्रा को H125 फ्यूजलेज का करार
नई दिल्ली: मेक इन इंडिया’ पहल को बड़ी सफलता मिली है। एयरबस(Airbus) ने महिंद्रा(Mahindra) एयरोस्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को H125 हेलीकॉप्टरों के मुख्य ढांचे बनाने का अनुबंध सौंपा है। इससे पहले H130 हेलीकॉप्टर के लिए भी महिंद्रा को जिम्मेदारी दी गई थी। यह कदम भारत(India) की एयरोस्पेस इंडस्ट्री को वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग नेटवर्क में और मजबूत करेगा।
बेंगलुरु में होगा उत्पादन और डिलीवरी
एयरबस(Airbus) ने बताया कि H125 और H130 दोनों का निर्माण महिंद्रा की बेंगलुरु इकाई में किया जाएगा। इंडस्ट्रियलाइजेशन की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी और H125 फ्यूजलेज की पहली खेप 2027 तक मिल सकती है। हालांकि वित्तीय विवरण साझा नहीं किए गए हैं, लेकिन यह साझेदारी भारत को वैश्विक एयरोस्पेस मानचित्र पर विशेष स्थान दिला रही है।
एयरबस(Airbus) दक्षिण एशिया के सीएमडी जुर्गन वेस्टरमेयर ने कहा कि यह सौदा भारत को एयरोस्पेस उत्पादन का एक अहम केंद्र बनाने की दिशा में विश्वास का प्रतीक है। उनका कहना है कि महिंद्रा के साथ यह करार न केवल भारत की औद्योगिक क्षमता को दर्शाता है बल्कि लंबे समय तक मजबूत साझेदारी का संकेत भी है।
H125 की वैश्विक मांग और महत्व
ये हेलीकॉप्टर दुनिया के सबसे अधिक बिकने वाले सिंगल-इंजन हेलीकॉप्टरों में गिना जाता है। इसे यात्री परिवहन, पर्यटन, मेडिकल इवैक्यूएशन और बचाव कार्यों में इस्तेमाल किया जाता है। एयरबस H125 फाइनल असेंबली लाइन को भारत में नए सिविल एविएशन सेगमेंट के विकास का माध्यम मान रहा है।
H125 के ‘मेड इन इंडिया’ संस्करण से न केवल वाणिज्यिक जरूरतें पूरी होंगी बल्कि भारतीय सशस्त्र बलों (Indian Armed Forces) को भी मदद मिलेगी। इस डील के साथ एयरबस ने भारत के सिविल एविएशन और डिफेंस क्षेत्र में अपनी दीर्घकालिक प्रतिबद्धता दोहराई है।
महिंद्रा और एयरबस की साझेदारी का क्या महत्व है?
यह साझेदारी भारत को ग्लोबल एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की दिशा में अहम कदम है। महिंद्रा को H125 और H130 दोनों हेलीकॉप्टरों के ढांचे बनाने की जिम्मेदारी मिलना भारत की क्षमता को दर्शाता है।
H125 का मेड इन इंडिया संस्करण क्यों खास है?
यह संस्करण भारत के नागरिक और रक्षा क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करेगा। इससे न केवल नए बाजार खुलेंगे बल्कि घरेलू स्तर पर एविएशन इंडस्ट्री भी मजबूत होगी।
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