नई दिल्ली । इस बार दिवाली और धनतेरस (Dhanterash) पर भारत में चांदी की अभूतपूर्व खरीदारी हुई, जिससे देश की सबसे बड़ी रिफाइनरी एमएमटीसी-पीएएमपी (MMTC-PAMP) पहली बार स्टॉक से खाली हो गई। बाजार के जानकारों ने कहा कि उन्होंने अपने 27 साल के करियर में ऐसी खरीदारी पहले नहीं देखी। बाजार में भारी डिमांड (Heavy Demand) के चलते सप्लाई बाधित हो गई है।
वैश्विक बाजार पर असर
भारत की इस जबरदस्त मांग का असर लंदन जैसे वैश्विक बाजारों पर भी पड़ा। वहां कई बैंकों ने ग्राहकों को चांदी की कीमत बताना तक बंद कर दिया, क्योंकि स्टॉक खत्म हो चुका था। विशेषज्ञों के अनुसार, यह स्थिति पिछले 45 वर्षों में सबसे गंभीर चांदी संकटों में से एक मानी जा रही है।
चांदी की बढ़ती मांग के कारण
- सोशल मीडिया पर चांदी को अगला गोल्ड कहा जाने लगा।
- सोने-चांदी का अनुपात 100:1 पहुंच गया, जिससे निवेशकों ने सस्ता विकल्प चुना।
- सोलर इंडस्ट्री में चांदी की खपत तेजी से बढ़ रही है।
- डॉलर की कमजोरी ने भी निवेशकों को आकर्षित किया।
भविष्य की संभावना
लंदन वेयरहाउस में अब केवल 150 मिलियन औंस चांदी बची है, जबकि रोजाना का व्यापार करीब 250 मिलियन औंस है। अमेरिका और चीन में ईटीएफ और इंडस्ट्री की भारी खरीदारी से संकट और गहरा गया। हालांकि, न्यूयॉर्क के कॉमेक्स वेयरहाउस से 20 मिलियन औंस चांदी निकाले जाने के बाद कीमतों में 5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। आने वाले हफ्तों में अमेरिका और चीन से नई सप्लाई की उम्मीद है, जिससे बाजार थोड़ा स्थिर हो सकता है।
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