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Breaking News: Ford: ट्रंप की नीतियों से फोर्ड की योजना ठप

Dhanarekha
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Breaking News: Ford: ट्रंप की नीतियों से फोर्ड की योजना ठप

चेन्नई प्लांट को लेकर कंपनी असमंजस में

नई दिल्ली: अमेरिकी(American) ऑटो कंपनी फोर्ड(Ford) की भारत वापसी की योजना एक बार फिर अधर में लटक गई है। कंपनी अपने चेन्नई(Chennai) स्थित प्लांट को दोबारा शुरू करने के निर्णय पर पुनर्विचार कर रही है। यह प्लांट तमिलनाडु के मरैमलई नगर में है। रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी के अधिकारी जल्द ही इस प्लांट के भविष्य पर बैठक करने वाले हैं। बैठक में तय किया जाएगा कि यहां उत्पादन दोबारा शुरू किया जाए या निवेश वापस लिया जाए। दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई टैरिफ नीतियों ने कंपनी की योजनाओं को झटका दिया है

ट्रंप की नीति से बिगड़ा निर्यात समीकरण

फोर्ड(Ford) का चेन्नई प्लांट 2022 से बंद पड़ा है। कंपनी ने भारत में कारों का उत्पादन बंद करने का निर्णय पहले ही ले लिया था। मार्च में ऐसी खबरें आई थीं कि कंपनी इस प्लांट में इंजन निर्माण शुरू कर सकती है। किंतु ट्रंप सरकार की बढ़ी हुई टैरिफ नीतियों के कारण अमेरिका को कारें एक्सपोर्ट करना अब महंगा हो गया है। इन नीतियों से केवल फोर्ड(Ford) ही नहीं, बल्कि कई अन्य अमेरिकी कंपनियों के निवेश योजनाएं भी प्रभावित हुई हैं। इससे वैश्विक ऑटो सेक्टर में अनिश्चितता का माहौल बन गया है।

यूरोप की ओर फोर्ड का बढ़ता ध्यान

सूत्रों के अनुसार, भारत अब फोर्ड के लिए प्रमुख बाजार नहीं रहा। कंपनी अब अपना ध्यान यूरोप पर केंद्रित कर रही है, जहाँ वह अरबों डॉलर का निवेश कर रही है। इसमें जर्मनी में 4.4 अरब रुपये का निवेश, कोलोन में इलेक्ट्रिक वाहन प्रोजेक्ट और यूके में कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग हब की योजनाएं शामिल हैं। इन प्रोजेक्ट्स में बैटरी रिसर्च और विकास पर भी खास जोर दिया जा रहा है। हालांकि, कंपनी का कहना है कि चेन्नई मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी को लेकर उसकी स्थिति 2024 के अंत से अब तक नहीं बदली है।

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तमिलनाडु सरकार भी कर रही है दबाव

फोर्ड बिजनेस सर्विसेज, जो सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग, आईटी, फाइनेंस और एनालिटिक्स सेवाएं देती है, अभी भी चेन्नई में 12,000 कर्मचारियों के साथ सक्रिय है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि कंपनी अंतिम निर्णय लेने में समय ले रही है। तमिलनाडु सरकार चाहती है कि फोर्ड अपने प्लांट के इस्तेमाल पर जल्द कोई ठोस निर्णय ले, क्योंकि राज्य खुद को ऑटो मैन्युफैक्चरिंग का केंद्र बनाना चाहता है। यदि कंपनी यहां इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण शुरू करती है, तो अनुमानित निवेश 100 से 300 मिलियन डॉलर तक हो सकता है।

क्या फोर्ड भारत में फिर से उत्पादन शुरू करेगी

कंपनी के प्रवक्ता का कहना है कि अभी निर्णय लंबित है। हालांकि, यदि बाजार और नीतिगत हालात अनुकूल हुए, तो कंपनी एक्सपोर्ट के लिए मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियां शुरू कर सकती है।

चेन्नई प्लांट को दोबारा शुरू करने में कितना खर्च होगा

विशेषज्ञों के अनुसार, इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चेन्नई प्लांट को तैयार करने में 100 से 300 मिलियन डॉलर का खर्च आएगा। इसमें वेल्डिंग और असेंबली लाइन को पूरी तरह से आधुनिक बनाना होगा।

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