తెలుగు | Epaper

Breaking News: IMFL: IMFL की बिक्री में दक्षिण भारत का दबदबा

Dhanarekha
Dhanarekha
Breaking News: IMFL: IMFL की बिक्री में दक्षिण भारत का दबदबा

कर्नाटक शीर्ष पर, यूपी-दिल्ली पीछे

नई दिल्ली: भारत में बनी विदेशी शराब (IMFL – Indian Made Foreign Liquor) की बिक्री में दक्षिण भारत का दबदबा कायम है, जिसकी कुल राष्ट्रीय बिक्री में 58% की हिस्सेदारी है। उद्योग निकाय CIABC (Confederation of Indian Alcoholic Beverage Companies) की रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटक और तमिलनाडु इस सूची में सबसे आगे हैं। वित्त वर्ष 2024-25 में कर्नाटक 6.88 करोड़ पेटियों की बिक्री के साथ देश में पहले स्थान पर रहा, जबकि तमिलनाडु 6.47 करोड़ पेटियों के साथ दूसरे स्थान पर रहा। तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और केरल का भी बिक्री में महत्वपूर्ण योगदान रहा। हालांकि, राष्ट्रीय स्तर पर IMFL व्हिस्की की बिक्री में 1.4% की गिरावट देखी गई, जो अब 40.17 करोड़ पेटी पर आ गई है। CIABC के महानिदेशक अनंत एस अय्यर ने बिक्री में सुस्ती की वजह कुछ राज्यों में चुनाव और बदलती आबकारी नीतियों को बताया है

उत्तर और पश्चिम भारत का क्षेत्रीय योगदान

दक्षिण भारत के बाद, उत्तरी क्षेत्र ने कुल IMFL बिक्री में 20% का योगदान दिया। उत्तरी राज्यों में उत्तर प्रदेश 2.50 करोड़ पेटियों की बिक्री के साथ सबसे आगे रहा और राष्ट्रीय स्तर पर 6% की वृद्धि दर के साथ छठे स्थान पर रहा। दिल्ली 1.18 करोड़ पेटियों की बिक्री के साथ 10वें स्थान पर रहा, जबकि पंजाब, जिसकी अक्सर शराब की खपत के लिए चर्चा होती है, शीर्ष बिक्री वाले राज्यों में शामिल नहीं है। पश्चिमी क्षेत्र का राष्ट्रीय बिक्री में 12% का योगदान रहा, जिसमें महाराष्ट्र(Maharashtra) 2.71 करोड़ पेटियों की खपत के साथ इस क्षेत्र में सबसे ऊपर रहा। वहीं, पूर्वी क्षेत्र का योगदान सबसे कम रहा, जिसकी हिस्सेदारी केवल 10% रही और यहाँ पश्चिम बंगाल 1.49 करोड़ पेटियों की बिक्री के साथ शीर्ष पर रहा।

आबकारी नीतियां और बिक्री पर प्रभाव

CIABC ने आबकारी नीतियों में बार-बार होने वाले बदलावों और चुनावों को बिक्री की गति को प्रभावित करने वाला मुख्य कारक बताया है। महानिदेशक अनंत एस अय्यर ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकारों के साथ लगातार चर्चा जारी है क्योंकि राज्य स्तर पर टैक्स और नीतियों में होने वाले परिवर्तन IMFL की बिक्री को सीधे प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, दक्षिणी क्षेत्र में कुल मिलाकर लगभग 1% की वृद्धि दर्ज की गई, जिसमें पुडुचेरी ने 10% की शानदार वृद्धि दर्ज करते हुए 0.28 करोड़ पेटियों की बिक्री की। यह दर्शाता है कि एक सुसंगत और अनुकूल आबकारी नीति का बिक्री पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जबकि व्हिस्की जैसी प्रमुख श्रेणी में राष्ट्रीय स्तर पर गिरावट नीतिगत या बाजार संबंधी चुनौतियों का संकेत देती है।

IMFL (भारत में बनी विदेशी शराब) की बिक्री में दक्षिण भारत का दबदबा क्यों है?

CIABC की रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण भारत की हिस्सेदारी कुल IMFL बिक्री में 58% है क्योंकि कर्नाटक (6.88 करोड़ पेटियां) और तमिलनाडु (6.47 करोड़ पेटियां) जैसे राज्य देश में सबसे अधिक शराब की खपत करते हैं। इसके अलावा, इन राज्यों में प्रति व्यक्ति आय अधिक होने और अपेक्षाकृत स्थिर आबकारी नीतियों (कुछ चुनौतियों के बावजूद) के कारण खपत का स्तर ऊँचा रहता है।

वित्त वर्ष 2024-25 में IMFL व्हिस्की की बिक्री में गिरावट का मुख्य कारण क्या बताया गया है?

CIABC के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में राष्ट्रीय स्तर पर व्हिस्की की बिक्री में 1.4% की गिरावट आने का मुख्य कारण देश के कुछ राज्यों में हुए आम चुनाव (जिससे बिक्री प्रभावित हुई) और राज्य सरकारों की बदलती आबकारी नीतियां हैं, जो हर साल टैक्स और नियमों में बदलाव कर बिक्री पर सीधा असर डालती हैं।

अन्य पढ़े:

📢 For Advertisement Booking: 98481 12870