अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) द्वारा भारत पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा, जो 1 अगस्त 2025 से प्रभावी होगी, ने भारतीय अर्थव्यवस्था और राजनीतिक परिदृश्य में हलचल मचा दी है। यह कदम रूस से तेल और रक्षा उपकरणों की खरीद, उच्च टैरिफ दरें, और गैर-टैरिफ बाधाओं को लेकर उठाया गया है। हम इस नीति के आर्थिक प्रभावों और मौजूदा राजनीतिक स्थिति का गहन मूल्यांकन करेंगे।
आर्थिक प्रभाव
भारत का अमेरिका के साथ 2024 में 128 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार था, जिसमें भारत का निर्यात 87 अरब डॉलर था। ट्रंप के 25% टैरिफ से ऑटो पार्ट्स (6-7 अरब डॉलर), इलेक्ट्रॉनिक्स (14 अरब डॉलर), रत्न-आभूषण (12 अरब डॉलर), टेक्सटाइल, और दवाइयों जैसे प्रमुख क्षेत्र प्रभावित होंगे। स्मार्टफोन निर्यात, खासकर Apple के iPhone (24.1 अरब डॉलर), पर भी असर पड़ सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह जीडीपी वृद्धि को 0.1% से 0.6% तक कम कर सकता है, जबकि Moody’s ने 2025 के विकास अनुमान को 6.1% पर 30 बेसिस प्वाइंट घटाया है। रुपये की कीमत (वर्तमान में ₹86-87 प्रति डॉलर) में और गिरावट की आशंका है, जो आयात महंगा करेगी और मुद्रास्फीति को बढ़ा सकती है।
हालांकि, कुछ क्षेत्रों में राहत संभव है। फार्मास्यूटिकल्स, सेमीकंडक्टर्स, और महत्वपूर्ण खनिजों को छूट मिल सकती है, क्योंकि ये रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं। इसके अलावा, भारत वैकल्पिक बाजारों (जैसे यूरोप और दक्षिण-पूर्व एशिया) की ओर रुख कर सकता है। घरेलू मांग पर आधारित अर्थव्यवस्था होने के कारण, निर्यात का कुल योगदान (18% GDP) सीमित प्रभाव डाल सकता है, लेकिन छोटे और मध्यम उद्यम (MSME) को गंभीर नुकसान हो सकता है, जो निर्यात पर निर्भर हैं।
लंबी अवधि में, यह भारत के लिए आत्मनिर्भरता बढ़ाने का अवसर हो सकता है। मेक इन इंडिया पहल को मजबूत करना और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना जरूरी होगा। हालांकि, तत्काल प्रभाव में निर्यातकों को कीमतें कम करने या अमेरिकी ग्राहकों को बनाए रखने के लिए अनुकूलन करना होगा, जो लाभ मार्जिन को प्रभावित करेगा।
राजनीतिक स्थिति
राजनीतिक रूप से, यह कदम भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव पैदा कर रहा है। ट्रंप ने भारत को “अच्छा दोस्त” बताते हुए भी रूस के साथ व्यापार को लेकर नाराजगी जताई है, जो भू-राजनीतिक संतुलन का हिस्सा है। भारत सरकार ने राष्ट्रीय हितों की रक्षा और व्यापार वार्ता जारी रखने की बात कही है, लेकिन विपक्ष ने इसे सरकार की कूटनीतिक विफलता करार दिया। कांग्रेस ने ‘नमस्ते ट्रंप’ और ‘हाउडी मोदी’ को बेकार बताते हुए विदेश नीति पर सवाल उठाए हैं। सुप्रिया श्रीनेत ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ट्रंप को लुभाने में नाकाम रही, जिसका खामियाजा अर्थव्यवस्था भुगतेगी।
बीजेपी सांसदों ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया और बातचीत से हल निकालने की उम्मीद जताई, जबकि शिवसेना (UBT) ने चेतावनी दी कि यह भारत के निर्यात और रोजगार को प्रभावित करेगा। अगस्त में अमेरिकी टीम के भारत दौरे से स्थिति स्पष्ट हो सकती है, लेकिन वर्तमान में दोनों देशों के बीच छठे दौर की व्यापार वार्ता अनिश्चितता में है। ट्रंप का “अमेरिका फर्स्ट” दृष्टिकोण और भारत का रूस के साथ रिश्ता इस विवाद को जटिल बना रहा है।
निष्कर्ष
ट्रंप का 25% टैरिफ भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती है, लेकिन इसे संकट से अवसर में बदलने का मौका भी है। सरकार को निर्यात विविधीकरण, घरेलू उत्पादन को बढ़ावा, और मजबूत कूटनीति के जरिए प्रतिक्रिया देनी होगी। राजनीतिक रूप से, यह सरकार की विदेश नीति की परीक्षा है, और जनता की नजर अगले कदमों पर होगी। 31 जुलाई 2025 तक, यह मुद्दा भारत के आर्थिक और राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मोड़ बन गया है।
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