Namo Bharat: नमो भारत कॉरिडोर बनेगा सोलर एनर्जी मॉडल

By Dhanarekha | Updated: September 6, 2025 • 8:41 PM

ग्रीन एनर्जी से पूरी होंगी बड़ी जरूरतें

नई दिल्‍ली: भारत चीन के सोलर सपनों को चुनौती देने के लिए नए कदम उठा रहा है। दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ(Meerut) नमो भारत(Namo Bharat) कॉरिडोर की लगभग 60% ऊर्जा जरूरतें सौर ऊर्जा से पूरी की जाएंगी। इसके लिए उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh) में 110 मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र लगाया जाएगा। इस परियोजना से ट्रेनों के परिचालन और स्टेशनों की बिजली की मांग पूरी होगी

प्रोजेक्ट का लक्ष्य और पर्यावरणीय असर

एनसीआरटीसी(NCRTC) ने सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए टेंडर जारी किए हैं। योजना है कि 110 मेगावाट क्षमता वाला संयंत्र उत्तर प्रदेश में कहीं भी लगाया जाए और इसे कैप्टिव मोड में चलाया जाए। इस पहल से बिजली पर होने वाला खर्च 30-35% तक घटने का अनुमान है।

इसके अलावा, नमो भारत(Namo Bharat) कॉरिडोर की कुल ऊर्जा आवश्यकता का 70% सौर ऊर्जा से पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। 82 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर पर डिपो, स्टेशन और आरएसएस से 15 मेगावाट उत्पादन का प्रावधान है। भविष्य में नए संयंत्र से शेष लक्ष्य हासिल होगा।

कार्बन उत्सर्जन में कमी और भविष्य की दिशा

इस परियोजना से हर साल लगभग 1,77,000 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन घटने की संभावना है। यह कदम जलवायु परिवर्तन से लड़ाई में भारत के प्रयासों को मजबूती देगा। साथ ही, प्रदूषणकारी ईंधनों पर निर्भरता भी कम होगी।

विशेषज्ञों के अनुसार, यह मॉडल भविष्य के परिवहन समाधानों के लिए मार्गदर्शक बनेगा। नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसे प्रदूषक न निकलने से शहरी वायु गुणवत्ता बेहतर होगी। साथ ही यह राष्ट्रीय सौर मिशन के उद्देश्यों के अनुरूप है।

निविदाएं और दीर्घकालिक लाभ

परियोजना के लिए योग्य डेवलपर चुनने हेतु निविदाएं मंगाई गई हैं। इससे यह सुनिश्चित होगा कि सिस्टम टिकाऊ और आधुनिक तकनीक पर आधारित हो। एनसीआरटीसी का उद्देश्य है कि सौर ऊर्जा को अपने ढांचे में अधिकतम स्तर तक शामिल किया जाए।

यह पहल न केवल ऊर्जा आत्मनिर्भरता बढ़ाएगी बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी फायदेमंद होगी। साफ और सतत ऊर्जा से जुड़ने का यह प्रयास भारत को ग्रीन ट्रांसपोर्ट की दिशा में एक बड़ा कदम साबित कर सकता है।

नमो भारत कॉरिडोर में सौर ऊर्जा का योगदान कितना होगा?

इस परियोजना से कॉरिडोर की कुल ऊर्जा आवश्यकताओं का 60% सौर ऊर्जा से पूरा होगा। आने वाले वर्षों में 70% लक्ष्य हासिल करने के लिए अतिरिक्त संयंत्र और रूफटॉप सौर सिस्टम स्थापित किए जाएंगे।

इस पहल से पर्यावरण को क्या लाभ मिलेगा?

सौर ऊर्जा से हर साल 1,77,000 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन कम होगा। इसके अलावा प्रदूषक गैसों पर नियंत्रण से वायु गुणवत्ता सुधरेगी और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ भारत के प्रयासों को गति मिलेगी।

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