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Breaking News:Record: दिवाली बंपर सेल: ₹6.05 लाख करोड़ का रिकॉर्ड

Dhanarekha
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Breaking News:Record: दिवाली बंपर सेल: ₹6.05 लाख करोड़ का रिकॉर्ड

‘वोकल फॉर लोकल’ का महाजश्न

नई दिल्ली: इस बार की दिवाली ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। फेस्टिव सीजन में कुल कारोबार 25% बढ़कर ₹6.05 लाख करोड़ के रिकॉर्ड(Record) स्तर पर पहुँच गया, जबकि पिछले साल यह आँकड़ा ₹4.25 लाख करोड़ था। यह वृद्धि ट्रेडर्स और कंज्यूमर्स के दशक के सबसे उच्च कॉन्फिडेंस को दर्शाती है, जैसा कि CAIT की रिपोर्ट में सामने आया है। इस वृद्धि का सबसे बड़ा कारण ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘स्वदेशी दीवाली’ अभियान का सफल होना रहा, जहाँ 87% उपभोक्ताओं ने भारतीय निर्मित सामानों को चुना, जिसके परिणामस्वरूप चीनी प्रोडक्ट्स की मांग में भारी गिरावट दर्ज की गई। रिपोर्ट यह भी बताती है कि कुल ट्रेड का 85% हिस्सा नॉन-कॉर्पोरेट सेक्टर और पुराने बाजारों से आया, जिसने ग्रामीण और सेमी-अर्बन क्षेत्रों की 28% हिस्सेदारी के साथ, फिजिकल मार्केट्स की वापसी को मजबूत किया

GST कटौती, जॉब क्रिएशन और सेक्टर-वार बिक्री का विश्लेषण

सरकार द्वारा GST रेट्स कम करने से सामानों की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि(Record) हुई। 72% ट्रेडर्स ने माना कि फुटवियर, गारमेंट्स, मिठाई और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स जैसे डेली यूज वाले आइटम्स पर छूट से बिक्री की मात्रा बढ़ी। सेक्टर के हिसाब से, किराना और FMCG की कुल बिक्री में 12% की सबसे बड़ी हिस्सेदारी रही, इसके बाद गोल्ड और ज्वेलरी (10%) और होम डेकोर व फर्निशिंग्स (10%) का स्थान रहा। सामानों की बिक्री के अलावा, हॉस्पिटैलिटी, कैब सर्विसेज और इवेंट मैनेजमेंट जैसे सर्विसेज सेक्टर ने भी करीब ₹65,000 करोड़ का कारोबार किया। इस रिकॉर्ड फेस्टिव ट्रेड ने लॉजिस्टिक्स, पैकेजिंग और रिटेल सर्विसेज में करीब 50 लाख अस्थायी (टेम्पररी) नौकरियाँ भी पैदा की, जिसने नॉन-कॉर्पोरेट सेक्टर को ‘आत्मनिर्भर भारत’ का इंजन साबित किया।

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विश्वास का उच्च स्तर: ‘ट्रेडिशन, टेक्नोलॉजी और ट्रस्ट’ का फ्यूजन

Record

यह दिवाली केवल रिकॉर्ड(Record) बिक्री तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह ट्रेडर्स और कंज्यूमर्स के अटूट विश्वास को भी दर्शाती है। ट्रेडर कॉन्फिडेंस इंडेक्स (TCI) 10 में से 8.6 पर, और कंज्यूमर कॉन्फिडेंस इंडेक्स (CCI) 8.4 पर पहुँचा—जो कि दशक का सबसे ऊँचा स्तर है। स्टेबल प्राइसिंग और देश की अर्थव्यवस्था में मजबूत भरोसे ने खरीदारी के मूड को जबरदस्त बढ़ावा दिया। CAIT के अनुसार, GST रेशनलाइजेशन (तर्कसंगतीकरण) और स्वदेशी उत्पादों को अपनाने ने ट्रेडिंग कम्युनिटी और कंज्यूमर्स दोनों को प्रेरित किया। यह दिवाली भारतीय बाजार में परंपरा (ट्रेडिशन), प्रौद्योगिकी (टेक्नोलॉजी) और विश्वास (ट्रस्ट) के सफल संगम का प्रतीक बनी।

इस दिवाली की बिक्री को बढ़ावा देने वाले दो सबसे बड़े नीतिगत और उपभोक्ता-संचालित कारक क्या थे?

बिक्री को बढ़ावा(Record) देने वाला सबसे बड़ा उपभोक्ता-संचालित कारक ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान था, जिसके तहत 87% उपभोक्ताओं ने भारतीय सामान खरीदा। दूसरा सबसे बड़ा नीतिगत कारक सरकार द्वारा GST दरों में कटौती करना था, जिसने फुटवियर और गारमेंट्स जैसे दैनिक उपयोग के सामानों की बिक्री की मात्रा को बढ़ाया।

दिवाली ट्रेड में नॉन-कॉर्पोरेट (छोटे/पुराने) बाजारों की क्या भूमिका रही और इसने रोज़गार पर कैसा प्रभाव डाला?

नॉन-कॉर्पोरेट और पुराने बाजारों ने कुल ट्रेड का 85% हिस्सा कवर किया, जो भारत के ग्रोथ इंजन के रूप में छोटे व्यवसायों की मजबूती को दर्शाता है। इस रिकॉर्ड कारोबार के चलते लॉजिस्टिक्स, पैकेजिंग और ट्रांसपोर्ट जैसे क्षेत्रों में करीब 50 लाख अस्थायी (टेम्पररी) नौकरियाँ पैदा हुईं।

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