आम आदमी की जेब खाली, कंपनियों और सरकार की तिजोरी भरी
मुंबई: बीते तीन सालों से भारत(India) को रूस से काफी सस्ते दाम पर कच्चा तेल मिल रहा है, लेकिन इसका सीधा फायदा आम आदमी तक नहीं पहुँच पाया है। ‘मनी लाइफ’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूसी तेल (Russian oil) क्रूड पर मिले भारी डिस्काउंट का 65% हिस्सा रिलायंस, नायरा जैसी निजी और इंडियन ऑयल व भारत पेट्रोलियम जैसी सरकारी कंपनियों को मिला। वहीं, बाकी का 35% हिस्सा सरकार के खजाने में चला गया, जबकि आम जनता को कोई राहत नहीं मिली।
महंगे पेट्रोल-डीजल के पीछे सरकारी टैक्स और कंपनियों का मुनाफा
भले ही रूसी तेल (Russian oil) की कीमतें कागजों पर डी-रेगुलेटेड हों, लेकिन असल में खुदरा कीमतें सरकार और तेल कंपनियों के नियंत्रण में हैं। पेट्रोल-डीजल की कीमत का एक बड़ा हिस्सा टैक्स के रूप में वसूला जाता है। दिल्ली(Delhi) में पेट्रोल पर केंद्र सरकार ₹21.90 और राज्य सरकार ₹15.40 का टैक्स लगाती हैं। इसी तरह, डीजल पर भी केंद्र और राज्य भारी टैक्स वसूलते हैं।
कुल मिलाकर, पेट्रोल और डीजल की कीमत का 40% से ज़्यादा हिस्सा टैक्स होता है। सरकार इस टैक्स को अपनी आय का मुख्य स्रोत मानती है, जिससे वह अपने दूसरे खर्चों को पूरा करती है। इसी वजह से सस्ते तेल का लाभ ग्राहकों तक नहीं पहुँच पाता।
कंपनियों को हुआ भारी मुनाफा

रूसी तेल (Russian oil) पर मिली छूट से भारतीय तेल कंपनियों को भी भारी मुनाफा हुआ है। वित्त वर्ष 2020 में भारत सिर्फ 1.7% तेल रूस से आयात करता था, जो वित्त वर्ष 2025 में बढ़कर 35.1% हो गया। इस सस्ते आयात से सरकारी कंपनियों का मुनाफा 25 गुना तक बढ़ गया।
2023-24 में इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम ने मिलकर ₹86,000 करोड़ का मुनाफा कमाया। निजी रिफाइनरियों, जैसे कि रिलायंस और नायरा एनर्जी को भी काफी फायदा हुआ। उन्होंने सस्ते में तेल खरीदा, उसे प्रोसेस किया और यूरोप व अन्य देशों को ऊँचे दामों पर बेचकर हर बैरल पर भारी मुनाफा कमाया।
अमेरिका और यूक्रेन युद्ध का मुद्दा
इस बीच, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत पर 50% टैरिफ लगाने की बात कही है। उन्होंने इसका कारण रूस से तेल खरीद को बताया। ट्रम्प ने आरोप लगाया कि भारतीय रिफाइनरी कंपनियाँ सस्ते रूसी तेल (Russian oil) को प्रोसेस करके यूरोप में बेच रही हैं, जिससे रूस को फायदा हो रहा है। उन्होंने कहा कि भारत को यूक्रेन में हो रहे नुकसान की परवाह नहीं है।
वहीं, रिलायंस ने इस आरोप का खंडन करते हुए कहा कि रूस से खरीदा गया तेल उनके कुल तेल का एक छोटा हिस्सा है और यूरोप को बेचा गया प्रोडक्ट कुल उत्पादन का एक छोटा सा हिस्सा है।
भारत को रूस से मिलने वाले सस्ते तेल का फायदा आम लोगों को क्यों नहीं मिल रहा है?
तेल की खुदरा कीमतों पर सरकार और कंपनियों का नियंत्रण है। सरकार टैक्स के रूप में बड़ा हिस्सा वसूलती है, और कंपनियां अपना मुनाफा बढ़ा रही हैं, जिससे आम आदमी को राहत नहीं मिलती।
सस्ते रूसी तेल से भारतीय कंपनियों को कितना मुनाफा हुआ है?
सरकारी तेल कंपनियों का मुनाफा 25 गुना तक बढ़ गया है, जबकि रिलायंस और नायरा जैसी निजी कंपनियों ने भी सस्ते में तेल खरीदकर उसे महंगे में बेचकर भारी कमाई की है।
रूस से तेल खरीदने को लेकर अमेरिका की क्या आपत्ति है?
डोनाल्ड ट्रम्प ने आरोप लगाया है कि भारत सस्ते रूसी तेल को प्रोसेस करके यूरोप में बेच रहा है, जिससे रूस को यूक्रेन युद्ध के लिए फंडिंग मिल रही है।
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