हाल ही में सोशल मीडिया पर अधिकार किया गया कि दो हजार पैसेयो से ज़्यादा के यूपीआई ट्रांजेक्शन पर गवर्नमेंट जीएसटी लगाने जा रही है। इस जानकारी के प्रसारित ही लोगों में मुसीबत बढ़ गई। लेकिन शुक्रवार को वित्त मंत्रालय ने इस अधिकार को पूरी तरह खारिज करते हुए इसे भ्रामक और बेजड़ बताया। मंत्रालय ने बेदाग किया कि ऐसा कोई प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन नहीं है।
यूपीआई ट्रांजेक्शन जीएसटी: डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने पर जोर
गवर्नमेंट ने स्पष्ट किया कि डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए जनवरी 2020 से मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) कर को हटा दिया गया है। साथ ही, यूपीआई के जरिए होने वाले ट्रांजेक्शन पर किसी तरह का जीएसटी नहीं लगाया जा रहा है। छोटे दुकानदारों और धंधेबाज के लिए यूपीआई पेमेंट को आसान बनाने के लिए साल 2021 से विशेष स्कीम चलाई जा रही हैं। इन स्कीम के जरिए सर्विस प्रोवाइडर्स को प्रोत्साहन दिया जाता है ताकि लेनदेन की लागत की भरपाई हो सके।

यूपीआई लेनदेन में असाधारण बढ़ोतरी
गवर्नमेंट द्वारा आरंभ की गई पी2एम (Person to Merchant) स्कीम के तहत 2021-22 में 1389 करोड़ पैसे, 2022-23 में 2210 करोड़ पैसे और 2023-24 में 3631 करोड़ पैसे डिजिटल पेमेंट प्रेरणा के लिए आवंटित किए गए। इससे देश में डिजिटल ट्रांजेक्शन्स में तेज़ी से बढ़ोत्तरी हुआ है ।

ACI वर्ल्डवाइड की प्रतिवेदन के मुताबिक, 2023 में वैश्विक डिजिटल भुगतान का 49% हिस्सा इंडिया से आया। 2019-20 में यूपीआई के माध्यम से 21.3 लाख करोड़ पैसेयो का ट्रांजेक्शन हुआ था, जो मार्च 2025 तक 260 करोड़ ट्रांजेक्शन्स के साथ कई गुना बढ़ चुका है। केवल मर्चेंट्स को ही 59.3 लाख करोड़ पैसेयो का भुगतान किया गया, जो ग्राहकको
का बढ़ते भरोसे को दर्शाता है।
अफवाहों से बचें, सरकारी स्रोतों पर उम्मीदकरें
गवर्नमेंट ने एक बार फिर दोहराया कि डिजिटल पेमेंट को सस्ता, आसान और विश्वसनीय बनाने की दिशा में लगातार काम किया जा रहा है। ऐसे में भ्रामक खबरों से बचते हुए केवल गवर्नमेंट या अधिकृत स्रोतों से मिली खबर पर ही उम्मीद करें।