Cable Industry Crisis: भारत में केबल टीवी इंडस्ट्री पर बीते कुछ सालों में गहरा संकट मंडरा रहा है।
2018 से 2024 के बीच इस सेक्टर से जुड़े करीब 31% लोग बेरोजगार हो चुके हैं। इसके सिवाय, पायरेसी के चलते इंडस्ट्री को लगभग 20,000 करोड़ पैसों का क्षति उठाना पड़ा है।
डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की वजह से कम हुआ केबल का महत्व
Cable Industry Crisis: एक वक्त था जब मीडिया की रीढ़ केबल नेटवर्क हुआ करता था। मगर अब ओटीटी (OTT), यूट्यूब और स्मार्ट टीवी ने दर्शकों को ऑन-डिमांड कंटेंट की आज़ादी दे दी है।
1 बिलियन से ज्यादा इंटरनेट सब्सक्राइबर और 945 मिलियन ब्रॉडबैंड कनेक्शन के साथ भारत में डिजिटल ट्रांज़िशन तेज़ी से बढ़ा है।
सब्सक्राइबर्स में भारी गिरावट की आशंका
एक प्रतिवेदन के मुताबिक, जहां 2024 में देश में 111 मिलियन केबल सब्सक्राइबर थे, वहीं 2030 तक ये संख्या घटकर 71–81 मिलियन के बीच रह सकती है।
यह गिरावट केवल संख्या में नहीं, बल्कि रोज़गार और निवेश दोनों को प्रभावित कर रही है।

रिपोर्ट में केबल ऑपरेटरों की राय अहम
कंज्यूमर अफेयर्स के एडिशनल सेक्रेटरी संजीव शंकर के मुताबिक, इस प्रतिवेदन को 28,000 से अधिक केबल ऑपरेटरों की राय पर आधारित किया गया है।
उनका मानना है कि जब ओटीटी प्लेटफॉर्म बेहतर कंटेंट दे रहे हैं, तो आम उपभोक्ता केबल की तरफ क्यों लौटेगा?
क्या केबल इंडस्ट्री के पास कोई समाधान है?
विशेषज्ञों का मानना है कि केबल ऑपरेटरों को अब OTT पार्टनरशिप, स्मार्ट डिवाइस सपोर्ट और लोकल कंटेंट जैसे नवाचार अपनाने होंगे,
तभी यह इंडस्ट्री टिक पाएगी।