Latest Hindi News : कर्नाटक : जातिगत आंकड़ों का आरक्षण में उपयोग नहीं होगा

By Anuj Kumar | Updated: September 21, 2025 • 12:15 PM

टुमकुरु। कर्नाटक में जातिगत जनगणना (Caste Census) कल से शुरु हो रही है। इससे पहले राज्य के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने स्पष्ट किया कि इस जनगणना के आंकड़ों का इस्तेमाल आरक्षण देने के लिए नहीं किया जाएगा।

केवल सामाजिक और आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन

गृह मंत्री ने बताया कि यह गणना केवल जातियों की संख्या दर्ज करने के उद्देश्य से की जा रही है। इसका मकसद यह जानना है कि आजादी के बाद से अब तक ये समुदाय शिक्षा, सामाजिक और आर्थिक स्तर पर कहां तक पहुंचे हैं। परमेश्वर ने यह भी कहा कि आंकड़ों का उपयोग भविष्य में केवल सरकारी योजनाएं बनाने या जरूरतमंद वर्गों के लिए विशेष कार्यक्रम तैयार करने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने साफ किया कि आरक्षण से इसका कोई लेना-देना नहीं है।

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने दोहराई प्रतिबद्धता

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (Siddaramaiah) ने भी जाति जनगणना कराने की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि यह केवल जातियों की गिनती नहीं, बल्कि राज्य के सामाजिक ढांचे का समग्र मूल्यांकन होगा।सिद्धारमैया ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि यह गणना केवल जातियों की नहीं, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक स्थिति को भी कवर करेगी। इसका उद्देश्य वंचित तबकों को बराबरी के अवसर देना है।

आलोचनाओं को किया खारिज

जातिगत जनगणना की आलोचनाओं को खारिज करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर केंद्र सरकार (Central Government) भी जाति जनगणना कराएगी, तो क्या वह कोई साजिश होगी? उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी मंत्री या अधिकारी ने इसका विरोध नहीं किया है।सिद्धारमैया ने कहा कि इस सर्वे का उद्देश्य केवल गरीब और पिछड़े तबकों को सरकारी योजनाओं में प्राथमिकता देना है।

भाजपा का विरोध और सरकार की सफाई

भाजपा की ओर से राज्यपाल से इस कदम पर पुनर्विचार कराने की मांग की गई थी। मुख्यमंत्री ने इसे राजनीतिक कदम बताते हुए कहा कि भाजपा इस सर्वे को लेकर राजनीतिक खेल खेल रही है।उन्होंने स्पष्ट किया कि इस सर्वे का उद्देश्य समाज में जातियों को बांटना नहीं, बल्कि वंचितों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना है

भारत में जातिगत जनसंख्या कितनी है?

भारत में जातिगत जनसंख्या का कोई विश्वसनीय और अद्यतन आधिकारिक आँकड़ा उपलब्ध नहीं है, क्योंकि सरकार ने 1931 के बाद कोई जातिगत जनगणना नहीं करवाई है। 2011 की जनसंख्या के कुछ अनुमान उपलब्ध हैं जो अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) की संख्या बताते हैं, लेकिन विशिष्ट जातियों की जनसंख्या के आंकड़े अनुमानित हैं। 

बिहार में सबसे अधिक कौन सी जाति है?

बिहार की जातिगत जनगणना रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में सबसे अधिक संख्या यादव जाति की है, जिनकी आबादी 14.26% से अधिक है. यह बिहार की कुल आबादी का लगभग 1.63 करोड़ हिस्सा हैं. 

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