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Breaking News: Kheer: शरद पूर्णिमा: चांदनी में खीर का महत्व

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Breaking News: Kheer: शरद पूर्णिमा: चांदनी में खीर का महत्व

शरद पूर्णिमा का हिंदू धर्म में अत्यधिक विशेष महत्व है, क्योंकि यह दिन धन की देवी माता लक्ष्मी के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन(Sea ​​Churning)के दौरान आश्विन मास की पूर्णिमा(Full Moon) तिथि पर ही माँ लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। इस रात माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु पृथ्वी पर विचरण करते हुए भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। यह तिथि इसलिए भी खास है क्योंकि इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण होकर पृथ्वी पर अमृत बरसाता है। इस अमृतमयी चांदनी में खीर(Kheer) रखने का विधान है, जिसे अगले दिन प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से स्वास्थ्य लाभ और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है

खीर रखने का शुभ चंद्रोदय और समय

पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि 6 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 25 मिनट पर आरंभ होकर 7 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी। इस दिन चंद्रमा के दर्शन (चंद्रोदय) शाम 6 बजकर 2 मिनट से शुरू हो जाएंगे। आप शाम की पूजा के बाद कभी भी खीर(Kheer) चंद्रमा की रोशनी में रख सकते हैं। हालाँकि, शास्त्रों के अनुसार, जब चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण होता है, वह समय अत्यंत शुभ होता है। इसलिए, यह सुझाव दिया जाता है कि रात 9 बजे से पहले-पहले ही खीर को चंद्रमा की रोशनी में रख देना चाहिए, ताकि वह पूरी रात अमृतमयी किरणों को अवशोषित कर सके। ध्यान दें कि खीर(Kheer) रखने का संबंध भद्राकाल से नहीं है, इसलिए बिना किसी चिंता के आप चंद्रोदय के बाद यह उपाय कर सकते हैं।

खीर रखने का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने का गहरा धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व है। धार्मिक रूप से, चावल, दूध और खीर का सीधा संबंध चंद्रमा (चन्द्र देव) से होता है। इस खीर को रात भर चांद की रोशनी में रखने से यह चंद्रमा की सोलह कलाओं से निकलने वाले अमृत और औषधीय गुणों को सोख लेती है। आप चावल की खीर के अलावा माँ लक्ष्मी को प्रिय मखाने की खीर भी बनाकर रख सकते हैं। अगले दिन, यानी सूर्योदय के बाद, पूजा करने के पश्चात इस खीर(Kheer) का सेवन परिवार के सभी सदस्यों को करना चाहिए। मान्यता है कि यह खीर सेवन करने से व्यक्ति आरोग्य (उत्तम स्वास्थ्य) प्राप्त करता है और परिवार पर माता लक्ष्मी का आशीर्वाद बना रहता है।

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माता लक्ष्मी की कृपा और आरोग्य प्राप्ति

यह रात्रि देवी लक्ष्मी का आवाहन करने के लिए सबसे उत्तम मानी गई है। इस रात को कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं, जिसका अर्थ है ‘कौन जाग रहा है?’। देवी लक्ष्मी इस रात जागने वाले भक्तों को धन-धान्य का आशीर्वाद देती हैं। खीर को चांदनी में रखकर सेवन करने से न केवल शारीरिक रोगों का नाश होता है, बल्कि यह उपाय मानसिक शांति और पारिवारिक सौहार्द को भी बढ़ाता है। इस प्रकार, शरद पूर्णिमा का यह विशेष विधान धन, स्वास्थ्य और समृद्धि तीनों को एक साथ आकर्षित करने का सरल और प्रभावी तरीका है।

खीर को रातभर चांदनी में रखने के बाद इसे कब ग्रहण करना सबसे उत्तम माना जाता है?

खीर को रातभर चांदनी में रखने के बाद, इसे अगले दिन सूर्योदय के बाद पूजा-पाठ करने के पश्चात ही परिवार के सभी सदस्यों को प्रसाद के रूप में ग्रहण करना सबसे उत्तम माना जाता है, जिससे आरोग्य और लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने का मुख्य कारण क्या है?

खीर को चांदनी में रखने का मुख्य कारण यह है कि इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होता है और उसकी किरणें अमृत वर्षा करती हैं। खीर चंद्रमा की इन अमृतमयी किरणों और औषधीय गुणों को अवशोषित कर लेती है, जिससे यह आरोग्यवर्धक बन जाती है और साथ ही यह उपाय माता लक्ष्मी को भी अत्यंत प्रिय है।

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