शुभ-अशुभ भविष्य का संकेत
नवरात्रि(Navratri) के पहले दिन कलश स्थापना के समय बोए गए जौ के अंकुर (यवांकुर) ज्योतिष के शकुन शास्त्र में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। ये अंकुर न केवल यह बताते हैं कि साधक का नवरात्रि पूजन कितना सफल रहा, बल्कि आने वाले पूरे वर्ष के लिए शुभ और अशुभ भविष्यवाणियां भी करते हैं। जो भक्त व्रत रखते हैं और दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं, वे मिट्टी के कलश में जौ बोते हैं, जो आमतौर पर तीसरे दिन अंकुरित होने लगते हैं। इन अंकुरों(Sprouts) का रंग, आकार और विकास ही यह संकेत देता है कि भविष्य में लाभ के अवसर बढ़ेंगे या जीवन में किसी प्रकार की बाधाएं या चुनौतियाँ सामने आएंगी।
जौ के विभिन्न रंगों का अर्थ
अंकुरित जौ के रंग भविष्य के अलग-अलग संकेत देते हैं:
सफेद रंग: इसे अत्यंत शुभकारी माना जाता है और यह साधक की अभिष्ट सिद्धि (मनचाही सफलता) की ओर संकेत करता है।
हरे रंग के अंकुर: ये धन-धान्य में वृद्धि के सूचक होते हैं और यह माँ दुर्गा द्वारा सफल पूजन का प्रतीक माना जाता है।
धुएं के समान रंग: यह परिवार में आगामी कलह की सूचना देता है।
काले रंग के अंकुर: ये वर्ष भर निर्धनता (गरीबी) के घर में वास करने का संकेत देते हैं।
रक्त वर्ण (लाल) के अंकुर: इनका उगना रोग, व्याधि या शत्रु भय की संभावना को दर्शाता है।
आधे हरे व आधे पीले अंकुर: ये संकेत करते हैं कि पहले काम बनेगा लेकिन बाद में हानि या नुकसान होगा।
अंकुर न उगने और राष्ट्र पर प्रभाव
यदि बोए गए जौ नहीं उगते हैं या अविकसित (छोटे) रहते हैं, तो इसे एक अशुभ संकेत(Bad sign) माना जाता है। जौ का न उगना उस वर्ष कार्यों में बाधाओं और परिवार में किसी की आकस्मिक मृत्यु की संभावनाओं को प्रकट करता है। ज्योतिष ग्रंथों (जैसे सिद्धांत शेखर और सारस्वत) के अनुसार, नवरात्रि(Navratri) में जौ का रंग न केवल व्यक्ति के जीवन पर, बल्कि राष्ट्र पर भी प्रभाव की भविष्यवाणी करता है। उदाहरण के लिए, यदि जौ के अंकुर काले हों तो कम वर्षा (वृष्टि) होगी, मटमैले हों तो आंतरिक और बाहरी कलह होगी, और यदि अंकुर गिर जाएं तो शत्रु भय की आशंका रहती है।
जौ का अंकुरित न होना या अविकसित रहना क्या संकेत देता है?
नवरात्रि(Navratri) में यदि कलश स्थापना के समय बोए गए जौ नहीं उगते हैं या अविकसित (छोटे) रहते हैं, तो यह एक अशुभ संकेत माना जाता है। यह पूरे वर्ष कार्यों में बाधा आने और परिवार में किसी सदस्य की आकस्मिक मृत्यु की संभावनाओं को प्रकट करता है, साथ ही राष्ट्र के लिए जन नाश (लोगों की हानि) का भी संकेत देता है।
कौन से रंग के जौ के अंकुर सबसे शुभ माने जाते हैं और वे किस फल की ओर संकेत करते हैं?
सफेद और हरे रंग के जौ के अंकुर सबसे शुभ माने जाते हैं। सफेद रंग साधक को अभिष्ट सिद्धि (मनचाही सफलता) मिलने का संकेत देता है, जबकि हरे रंग के अंकुर घर में धन-धान्य की वृद्धि और माँ दुर्गा द्वारा पूजन की सफलता का प्रतीक होते हैं।
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