उत्तर प्रदेश सरकार अब वृंदावन (Vrindavan) आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को एक नई सौगात देने जा रही है. राज्य सरकार ने 18 करोड़ रुपये की लागत से सप्त देवालय सर्किट बनाने के प्लान पर काम करना शुरू कर दिया है. इसके तहत वृंदावन के सात प्रमुख मंदिरों को एक सर्किट के माध्यम से जोड़ा जाएगा. यह परियोजना विजन 2030 के तहत तैयार की जा रही है और इसका उद्देश्य, श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा देना और ब्रज की धार्मिक-सांस्कृतिक धरोहर को सहेजना है।
वृंदावन वह पवित्र भूमि है जहां भगवान श्रीकृष्ण (Lord Shri Krishna) ने अपनी बाल-लीलाएं कीं. यहां हर साल देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु राधा-कृष्ण के दर्शन करने और उनकी लीलाओं को महसूस करने आते हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार लगातार मथुरा-वृंदावन क्षेत्र के विकास पर ध्यान दे रही है. पिछले कुछ वर्षों में सड़कें, घाट, पार्किंग और धार्मिक सुविधाओं के लिए बड़ा बजट जारी किया गया है. अब यह नया सर्किट उस प्रयास को आगे बढ़ाएगा।
क्या है सप्त देवालय सर्किट का उद्देश्य?
इस योजना का मुख्य लक्ष्य है भक्तों की यात्रा को आसान और अधिक अर्थपूर्ण बनाना. वृंदावन के सात प्रमुख मंदिरों को ऐसे मार्गों से जोड़ा जाएगा, जहां से श्रद्धालु एक के बाद एक मंदिर तक सरलता से पहुंच सकेंगे. इन मार्गों पर सूचना बोर्ड, दिशा संकेतक, विश्राम स्थल और पथ प्रकाश की व्यवस्था होगी ताकि यात्रियों को किसी प्रकार की कठिनाई न हो. साथ ही, प्रत्येक मंदिर के पास उसके इतिहास और धार्मिक महत्व की जानकारी दी जाएगी. मथुरा-वृंदावन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष श्याम बहादुर सिंह के अनुसार, यह परियोजना न केवल यात्रियों के लिए सहूलियत बढ़ाएगी, बल्कि ब्रज की प्राचीन धरोहर को सहेजने में भी मदद करेगी।
श्रद्धालुओं के लिए नई सुविधाएं
- भक्त एक ही यात्रा में सभी सात मंदिरों के दर्शन कर सकेंगे.
- मार्गों के किनारे सूचना बोर्ड और दिशा संकेतक लगाए जाएंगे.
- पेयजल की व्यवस्था, बैठने की जगह और सौंदर्यीकरण होगा.
- यह सर्किट धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगा और रोजगार बढ़ेगा.
- मंदिर के पास उसके इतिहास और धार्मिक महत्व की जानकारी होगी
- ये ब्रज की संस्कृति, कला और परंपरा के संरक्षण की ओर कदम होगा
वृंदावन का प्राचीन मंदिर: श्रद्धा और इतिहास का संगम
वृंदावन में अनेक प्राचीन और पवित्र मंदिर हैं जो भक्तों के लिए आध्यात्मिक केंद्र बने हुए हैं. इनमें सबसे प्रमुख हैं सप्त देवलय और सप्त निधि मंदिर. ये सभी मंदिर भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी को समर्पित हैं और इनका निर्माण वृंदावन के महान गोस्वामियों ने कराया था. भक्तों का विश्वास है कि इन मंदिरों की यात्रा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. यहां आने वाले भक्त राधा-कृष्ण की दिव्य लीलाओं को याद कर आत्मिक शांति और भक्ति का अनुभव करते हैं।
हर मंदिर की अपना इतिहास और धार्मिक महत्व
1. श्री राधा मदन मोहन मंदिर
यह मंदिर वृंदावन का सबसे पुराना मंदिर माना जाता है, जो काली घाट के पास स्थित है. इसे सनातन गोस्वामी ने स्थापित किया था, जो चैतन्य महाप्रभु के छह प्रमुख शिष्यों में से एक थे।
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- श्रद्धालु मानते हैं कि मदन मोहन जी की पूजा करने से भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।
- मंदिर एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है, जहां से वृंदावन का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है।
2. श्री राधा गोविंद देव जी मंदिर
यह मंदिर 1590 में राजा मानसिंह (आमेर के राजा) द्वारा बनवाया गया था. यह वृंदावन के सबसे भव्य मंदिरों में से एक है।
- मंदिर की बनावट में राजस्थानी, मुगल और हिंदू शिल्प का सुंदर मिश्रण है।
- पहले यह सात मंजिला था पर अब इसके केवल तीन मंजिल शेष हैं।
- मूल देवता गोविंद देव जी की मूर्ति बाद में जयपुर ले जाई गई, फिर भी यह मंदिर आज भी भक्ति का केंद्र बना हुआ है.
3. श्री राधा रमण मंदिर
इस मंदिर की स्थापना गोपाल भट्ट गोस्वामी ने 1542 में की थी. यह मंदिर अद्वितीय है क्योंकि भगवान कृष्ण की शालिग्राम शिला स्वयं प्रकट होकर एक देवता बन गई थी।
- इस मंदिर की विशेषता है कि यहां की शालिग्राम शिला स्वयं भगवान कृष्ण के रूप में प्रकट हुई थी।
- यह मूर्ति स्वयंभू मानी जाती है, यहां पूजा-पाठ अत्यंत अनुशासित और पारंपरिक विधि से होता है।
वृंदावन का इतिहास क्या है?
भगवान कृष्ण से जुड़ा है, जहाँ उन्होंने अपना बचपन बिताया था। 16वीं शताब्दी में चैतन्य महाप्रभु ने इस स्थान की फिर से खोज की और इसे कृष्ण के गोलोक वृंदावन का रूप माना। वृंदावन का नाम तुलसी के वन से पड़ा है और यहां अनेक प्राचीन मंदिर और पवित्र स्थल हैं।
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