31 अगस्त से शुरू होगा 16 दिवसीय महालक्ष्मी व्रत
Mahalaxmi Vrat : हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होने वाला (Mahalaxmi Vrat) महालक्ष्मी व्रत इस बार 31 अगस्त 2025 से आरंभ होगा और पूरे 16 दिनों तक चलेगा। यह व्रत धन, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि के लिए विशेष फलदायी माना जाता है।
31 अगस्त से सोलह दिवसीय (sixteen day) महालक्ष्मी व्रत Mahalaxmi Vrat की शुरुआत हो रही है। जो की 14 सितम्बर तक चलेंगे। आपको बता दूं कि- महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होती है। जो व्यक्ति महालक्ष्मी के इन सोलह दिनों का व्रत करेगा, सोलह दिन तक मां लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा-अर्चना करेगा और उनके मंत्रों का उच्चारण करेगा, उसे अखण्ड लक्ष्मी की प्राप्ति होगी। उसके घर में कभी भी पैसे की कमी नहीं होगी और हमेशा सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहेगी। साथ ही व्यक्ति को अपने हर कार्य में सफलता प्राप्त होगी। तो आप पर भी महालक्ष्मी की कृपा बनी रहे और आप जीवन में जो भी चाहे, वो पा सकें, इसके लिये सही पूजा-विधि से इन सोलह दिनों के दौरान माता महालक्ष्मी की आराधना जरूर कीजिये।
धार्मिक मान्यता: क्यों रखा जाता है महालक्ष्मी व्रत?
धन और वैभव की प्राप्ति के लिए- मान्यता है कि जो भक्त विधिपूर्वक यह व्रत करते हैं, माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा उन पर सदैव बनी रहती है। परिवार में सुख-शांति, धन-संपत्ति और समृद्धि बनी रहती है।
इस व्रत से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार, माँ लक्ष्मी स्वयं व्रती के घर पधारती हैं और उसे दरिद्रता, ऋण और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति दिलाती हैं।
राशि अनुसार करें ये उपाय: मिलेगा धन लाभ
मेष से मीन तक सभी राशियों के लिए खास उपाय- इस महालक्ष्मी व्रत में यदि आप अपनी राशि अनुसार कुछ विशेष उपाय करें, तो निश्चित रूप से माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी और जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होगी।
उदाहरण:
- मेष राशि: लाल वस्त्र में चावल बांधकर माँ को अर्पित करें
- वृषभ राशि: सफेद कमल या चांदी का सिक्का अर्पित करें
- कर्क राशि: दूध से लक्ष्मी जी का अभिषेक करें
(बाकी राशियों के लिए भी आप चाहें तो विस्तार से उपाय बता सकता हूँ)
विधिपूर्वक करें व्रत और पूजन
- प्रातः स्नान करके व्रत का संकल्प लें
- माँ लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र की स्थापना करें
- कमलगट्टे की माला से “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का जाप करें
- भोग में खीर, पंचामृत, और सफेद मिठाइयाँ चढ़ाएं
- कथा सुनें और आरती करें
आध्यात्मिक लाभ के साथ-साथ भौतिक सुखों की प्राप्ति
इस व्रत को श्रद्धा और विधि से करने पर जीवन में स्थिरता, समृद्धि और आर्थिक प्रगति सुनिश्चित होती है। मां लक्ष्मी की कृपा से घर में सुख-शांति और लक्ष्मी का वास होता है।
माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा पाने का अद्भुत अवसर
इस बार न करें चूक– 31 अगस्त 2025 से शुरू हो रहा यह महालक्ष्मी व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने वाला अवसर भी है। इस व्रत के माध्यम से आप माँ लक्ष्मी को प्रसन्न कर सकते हैं और अपने जीवन से धन की कमी को सदा के लिए दूर कर सकते हैं।
लक्ष्मी जी का जन्म कब हुआ था?माँ लक्ष्मी का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था और सभी गुणों से संपन्न होने के कारण उनका नाम लक्ष्मी रखा गया था। धाता और विधाता माँ लक्ष्मी के भाई हैं और अलक्ष्मी उनकी बहन। ऋषि भृगु राजा दक्ष के भाई हैं और एक सप्तर्षि भी। इस तरह से लक्ष्मी जी माता सती की बहन थीं।
लक्ष्मी जी का जन्म कब हुआ था?
माँ लक्ष्मी का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था और सभी गुणों से संपन्न होने के कारण उनका नाम लक्ष्मी रखा गया था। धाता और विधाता माँ लक्ष्मी के भाई हैं और अलक्ष्मी उनकी बहन। ऋषि भृगु राजा दक्ष के भाई हैं और एक सप्तर्षि भी। इस तरह से लक्ष्मी जी माता सती की बहन थीं।
लक्ष्मी जी का निवास स्थान कहाँ होता है?
लक्ष्मी का निवास स्थान घर में पश्चिम दिशा में होता है जो भी लक्ष्मी जी की आराधना करता है उसे पश्चिम दिशा की ओर मुख करके पूजा करनी चाहिए।
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