Kalashtami 2025 असमंजस खत्म, 18 जून को ही मनाई जाएगी मासिक व्रत
इस महीने मासिक व्रत Kalashtami (Kala Ashtami), जिसे Masik Kalashtami भी कहा जाता है, 18 जून 2025 को पूरी श्रद्धा से मनाया जा रहा है। यह व्रत Ashadha मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आता है और विशेष Lord Kaal Bhairav की पूजा के लिए जाना जाता है।
Kalashtami तिथि और समय
- Ashtami तिथि शुरू: 18 जून 2025, दोपहर 01:34 बजे
- Ashtami तिथि समाप्त: 19 जून 2025, सुबह 11:55 बजे।
- यह व्रत रात में भी चलता है, इसलिए मासिक व्रत पर पूजा–उपासना रात के समय की भी जाए।

Kalashtami क्यों मनाया जाता है?
Kalashtami का व्रत Lord Kaal Bhairav को समर्पित है। उन्हें भय, नकारात्मक ऊर्जा और काल से रक्षा करने वाले देवता माना जाता है ।
इस व्रत का महत्व:
- रक्षा और सुरक्षा: दोष, बुराई और दुष्ट शक्तियों से बचाव
- आंतरिक शक्ति: भय और अनिष्ट से मुक्ति
- आध्यात्मिक शुद्धि: आत्मा और मन को पवित्र करना
- दोष निवारण: कालसर्प और शनि दोष से मुक्ति का मार्ग मिलना।
Kalashtami पूजा की सरल विधि
- सूर्योदय से पहले स्नान करें और पूजा स्थल साफ करें
- भैरव का प्रतिमा या चित्र स्थापित करें
- सरसों का तेल, काले तिल और फूल चढ़ाएं
- दीपक जलाएं और धूप लगाएं
- भोग में हलवा, रोत, लड्डू या फल दें
- ‘Kaal Bhairav Ashtakam’ मंत्र या भैरव स्तुति का पाठ करें
- व्रत पूरे दिन रखें।
- शाम को या पूजा के अंत में व्रत खोलें और कुत्तों को भोज दें—यह भैरव की विशेष पूजा है।

शुभ मुहूर्त और समय पर ध्यान दें
- प्रातःकालीन स्नान एवं पूजा: सुबह के समय उत्तम
- प्रदोष काल: सूर्यास्त के बाद अष्टमी होती है, तभी व्रत की महत्ता होती है ।
- राहुकाल दिन में 12:22–14:07 का समय ध्यान रखें—किसी शुभ कार्य में इस समय से बचें ।
Kalashtami 2025 पर व्रत क्यों है खास
- यह व्रत मासिक चक्र का एक नियमित हिस्सा है और व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए अत्यंत फायदेमंद माना जाता है।
- 18 जून को अष्टमी तिथि रात तक बनी रहेगी, इसलिए इसे शाम की पूजा और व्रत खोलने के लिए उपयुक्त दिन बनाती है ।
- भैरव की विशेष पूजा से जीवन में स्थिरता, सुकून और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
18 जून 2025 को Kalashtami का मासिक व्रत शुद्ध जाग्रत मन और साधना से मनाने का दिन है। इससे Lord Kaal Bhairav का आशीर्वाद मिलता है—विषम परिस्थितियों से रक्षा, शांति और मन की शक्ति के लिए यह दिन अत्यंत उपयोगी है। नियमित व्रती के लिए यह समय बहुत महत्व रखता है।