जिन्हें देवताओं ने अपनाया, इंसान क्यों सताए?
उत्तराखंड के नैनीताल (Nainital) की प्रसिद्धि केवल उसकी मनोरम झीलों और पर्यटन स्थलों तक सीमित नहीं है, बल्कि यहां की नैनी झील धार्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। मान्यता है कि झील में रहने वाली मछलियां मां नंदा और मां सुनंदा का दिव्य स्वरूप हैं। यही कारण है कि यहां मछली पकड़ने पर पूर्णतः प्रतिबंध है।
स्थानीय धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां नंदा-सुनंदा (Nanda-Sunanda) नैनीताल की आराध्य देवियां हैं और झील की मछलियों को उनका जीवंत रूप माना जाता है। यहां आने वाले श्रद्धालु इन मछलियों को पूज्य भाव से देखते हैं, जबकि स्थानीय लोग इन्हें देवी की सेवा मानकर संरक्षण प्रदान करते हैं।
देवी का आशीर्वाद: झील की मछलियों को कोई क्षति नहीं

मां नयना देवी मंदिर के पुजारी, पंडित नवीन तिवारी के अनुसार, प्राचीन समय से यह विश्वास बना हुआ है कि इन मछलियों को किसी प्रकार की हानि नहीं हो सकती — यहां तक कि प्राकृतिक आपदाओं के समय भी ये सुरक्षित रहती हैं। माना जाता है कि यह सब मां नंदा और सुनंदा की कृपा से संभव है।
इसी श्रद्धा और मान्यता के आधार पर प्रशासन ने भी झील में मछली पकड़ने या किसी भी प्रकार के शिकार को प्रतिबंधित कर रखा है, ताकि इन पवित्र मछलियों को पूरी तरह से सुरक्षित रखा जा सके।
नैनीताल की नैनी झील में आस्था की झलक — ‘नथ’ पहने दो दिव्य मछलियां
नैनीताल, Nainital जिसे ‘सरोवर नगरी’ के नाम से जाना जाता है, का नाम मां नयना देवी के नाम पर पड़ा है। मां नयना देवी वही शक्ति स्वरूप हैं, जिनसे जुड़ी यह मान्यता है कि इस पवित्र स्थान पर माता सती का नेत्र गिरा था। यही कारण है कि नैनीताल को अत्यंत पावन तीर्थस्थल माना जाता है।
मां नयना देवी मंदिर के पुजारी, पंडित नवीन तिवारी बताते हैं कि नैनी झील की दो विशेष मछलियों को देवी नंदा और सुनंदा का स्वरूप माना जाता है। इन मछलियों की आकृति सामान्य मछलियों से बिल्कुल अलग है। खास बात यह है कि इनके मुख पर ‘नथ’ जैसी आकृति दिखाई देती है — जो कि कुमाऊंनी संस्कृति में महिलाओं द्वारा नाक में पहना जाने वाला पारंपरिक आभूषण होता है।
इन दिव्य मछलियों का झील में दिखाई देना अत्यंत शुभ माना जाता है। पंडित तिवारी के अनुसार, कई विशेष अवसरों पर इन मछलियों ने श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों को अपने दर्शन दिए हैं, जिसे लोग देवी की कृपा का संकेत मानते हैं।
कौन सी देवी है नैनीताल में ?
नैनीताल Nainital में देवी नैना देवी हैं, जो नैनी झील के उत्तरी किनारे पर स्थित नैना देवी मंदिर में पूजी जाती हैं. मंदिर को 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है, जहां देवी सती की आंखें गिरी थीं.
नैनीताल मंदिर का इतिहास क्या है?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह 51 शक्तिपीठों में से एक है, जहाँ देवी सती के आत्मदाह के बाद उनके नेत्र (नैना) गिरे थे। इस मंदिर का निर्माण 15वीं शताब्दी में हुआ था, लेकिन भूस्खलन में नष्ट होने के बाद 1883 में इसका पुनर्निर्माण किया गया था ।
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