पौराणिक कथाओं के अनुसार, गणेश जी की पूजा में तुलसी का उपयोग इसलिए नहीं किया जाता क्योंकि तुलसी ने उन्हें दो विवाह होने का शाप दिया था। एक बार तुलसी ने भगवान गणेश(Lord Ganesh) से विवाह करने का प्रस्ताव रखा, जिसे गणेश जी ने ब्रह्मचारी होने के कारण अस्वीकार कर दिया।
इस पर क्रोधित होकर तुलसी ने गणेश जी को शाप दिया कि उनके दो विवाह होंगे। गणेश जी ने भी क्रोध में आकर तुलसी को एक असुर से विवाह करने का शाप दिया। बाद में तुलसी ने अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी, तब गणेश जी ने कहा कि वह भगवान विष्णु(Lord Vishnu) को प्रिय रहेंगी और उनकी पूजा में उनका उपयोग होगा, लेकिन गणेश जी की पूजा में तुलसी हमेशा वर्जित रहेगी।
शिव जी को क्यों नहीं चढ़ाई जाती तुलसी?
भगवान शिव को तुलसी न चढ़ाने के पीछे भी एक पौराणिक कथा है। तुलसी का विवाह शंखचूड़ नाम के असुर से हुआ था। शंखचूड़ को यह वरदान था कि जब तक उसकी पत्नी तुलसी का पतिव्रता धर्म अखंडित रहेगा, तब तक उसे कोई मार नहीं सकता। इस वरदान के कारण वह बहुत शक्तिशाली हो गया था और उसने देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया।
देवताओं ने भगवान शिव की शरण ली। तब भगवान विष्णु ने शंखचूड़ का रूप धारण कर तुलसी का पतिव्रता धर्म भंग किया, जिससे शंखचूड़ का सुरक्षा कवच खत्म हो गया। इसके बाद भगवान शिव ने शंखचूड़ का वध कर दिया। इस घटना के कारण, तुलसी ने स्वयं को भगवान शिव की पूजा के लिए वर्जित कर दिया।
दूर्वा और शालिग्राम का महत्व
गणपति पूजा में दूर्वा का विशेष महत्व है और इसे अनिवार्य रूप से चढ़ाया जाता है। वहीं, तुलसी को भगवान विष्णु का प्रिय माना जाता है और उनके बिना विष्णु पूजा अधूरी मानी जाती है। जब तुलसी ने भगवान विष्णु को पत्थर बन जाने का शाप दिया था, तो विष्णु जी ने उस शाप को स्वीकार किया और शालिग्राम के रूप में पूजे जाने लगे।
इसके साथ ही विष्णु जी ने तुलसी को एक पौधे का रूप दिया और उसे अपना प्रिय बना लिया। इसी वजह से शालिग्राम और तुलसी की पूजा एक साथ करने की परंपरा शुरू हुई।
गणेश जी की पूजा में तुलसी क्यों नहीं चढ़ाई जाती है?
पौराणिक कथा के अनुसार, तुलसी ने भगवान गणेश से विवाह का प्रस्ताव रखा था, जिसे गणेश जी ने ब्रह्मचारी होने के कारण अस्वीकार कर दिया। क्रोध में आकर तुलसी ने गणेश जी को दो विवाह होने का शाप दे दिया। इसके जवाब में गणेश जी ने भी तुलसी को एक असुर से विवाह करने का शाप दिया। इसी शाप के कारण गणेश जी की पूजा में तुलसी को वर्जित माना गया है।
क्या तुलसी भगवान विष्णु और भगवान शिव को भी नहीं चढ़ाई जाती है?
नहीं, ऐसा नहीं है। तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है और उनकी पूजा तुलसी के बिना अधूरी मानी जाती है। हालांकि, भगवान शिव की पूजा में तुलसी का प्रयोग नहीं होता। इसके पीछे की कहानी यह है कि भगवान शिव ने तुलसी के पति, शंखचूड़ नामक असुर का वध किया था, जिसके कारण तुलसी ने स्वयं को शिव पूजा के लिए वर्जित कर दिया था।
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