తెలుగు | Epaper

Ub Chhath 2025: 14 अगस्त को मनाई जाएगी ऊब छठ

Kshama Singh
Kshama Singh
Ub Chhath 2025: 14 अगस्त को मनाई जाएगी ऊब छठ

षष्ठी तिथि को भगवान बलराम का हुआ था जन्म

भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की छठ (षष्ठी तिथि) ऊब छठ होती है। ऊब छठ को चन्दन षष्ठी, चानन छठ और चंद्र छठ के नाम से भी जाना जाता है। वहीं देश की कई राज्यों में इस दिन को हलषष्ठी के रूप में मनाई जाती है। माना जाता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण (Lord Krishna) के बड़े भाई भगवान बलराम का जन्म हुआ था और उनका शस्त्र हल था इसलिए इस दिन को हलषष्ठी भी कहा जाता है

वहीं कई जगह इस दिन को चंदन षष्ठी के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार षष्ठी तिथि 14 अगस्त को है और इसी दिन ऊब छठ पर्व होगा। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि भगवान कृष्ण के बड़े भ्राता बलराम (Balram) का जन्म दिवस (चंद्र षष्ठी पर्व) 14 अगस्त को ऊब छठ के रूप में मनाया जाएगा।

चाँद के उदय होने तक रहते है खड़े

सुहागिनें घर-परिवार की सुख समृद्धि और सौभाग्य की कामना के लिए सूर्यास्त बाद चंदनयुक्त जल सेवन कर व्रत का संकल्प लेंगी। संकल्प के बाद निरंतर चन्द्रोदय तक खड़े रहकर उपासना एवं पौराणिक कथाओं का श्रवण करेंगी। ऊब छठ का व्रत और पूजा विवाहित स्त्रियां पति की लंबी आयु के लिए तथा कुंआरी लड़कियां अच्छे पति कामना में करती है। भाद्र पद महीने की कृष्ण पक्ष की छठ (षष्टी तिथि) ऊब छठ होती है। ऊब छठ के दिन मंदिर में भगवान की पूजा की जाती है। चाँद निकलने पर चाँद को अर्ध्य दिया जाता है।

उसके बाद ही व्रत खोला जाता है। सूर्यास्त के बाद से लेकर चाँद के उदय होने तक खड़े रहते है। इसीलिए इसको ऊब छठ कहते है। ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि महिलाएं और युवतियाँ पूरे दिन उपवास रखती है। शाम को दुबारा नहाती है और नए कपड़े पहनती है। मंदिर जाती है। वहाँ भजन करती है। चन्दन घिसकर टीका लगाती है।

कुछ लोग मुँह में रखते है चन्दन

कुछ लोग लक्ष्मी जी और और गणेश जी की पूजा करते है। कुछ अपने इष्ट की। भगवान को कुमकुम और चन्दन से तिलक करके अक्षत अर्पित करते है। सिक्का, फूल, फल, सुपारी चढ़ाते है। दीपक, अगरबत्ती जलाते है। फिर हाथ में चन्दन लेते है। कुछ लोग चन्दन मुँह में रखते है। इसके बाद ऊब छट व्रत की कहानी सुनते है और गणेशजी की कहानी सुनते है।

इसके बाद पानी भी नहीं पीते जब तक चाँद न दिख जाये। इसके अलावा बैठते नहीं है। खड़े रहते है। चाँद दिखने पर चाँद को अर्ध्य दिया जाता है। चाँद को जल के छींटे देकर कुमकुम, चन्दन, मोली, अक्षत चढ़ाएं। भोग अर्पित करें। जल कलश से जल चढ़ायें। एक ही जगह खड़े होकर परिक्रमा करें। अर्ध्य देने के बाद व्रत खोला जाता है। लोग व्रत खोलते समय अपने रिवाज के अनुसार नमक वाला या बिना नमक का खाना खाते है।

षष्ठी तिथि

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि पंचांग के अनुसार, षष्ठी तिथि 14 अगस्त को सुबह 4:23 बजे शुरू होगी और 15 अगस्त को सुबह 2:07 बजे खत्म होगी। कोई भी व्रत उदया तिथि के आधार पर रखा जाता है, इसलिए हलषष्ठी 14 अगस्त को मनाई जाएगी। यह त्योहार रक्षाबंधन के 6 दिन बाद और जन्माष्टमी से पहले आता है।

ऊब छठ

पूजन सामग्री

कुमकुम, चावल, चन्दन, सुपारी, पान, कपूर, फल, सिक्का, सफ़ेद फूल, अगरबत्ती, दीपक।

पूजा विधि

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि स्त्रियां इस दिन पूरे दिन का उपवास रखती है। शाम को दुबारा स्नान कर स्वच्छ और नए कपड़े पहनती है। कुछ लोग लक्ष्मी जी और और गणेश जी की पूजा करते है और कुछ अपने इष्ट की। चन्दन घिसकर भगवान को चन्दन से तिलक करके अक्षत अर्पित करते है। सिक्का, फूल, फल, सुपारी चढ़ाते है। दीपक, अगरबत्ती जलाते है। फिर हाथ में चन्दन लेते है। कुछ लोग चन्दन मुँह में भी रखते है। इसके बाद ऊब छट व्रत और गणेशजी की कहानी सुनते है। मंदिर जाकर भजन करती है। इसके बाद व्रती जब तक चंद्रमा जी न दिख जाये, जल भी ग्रहण नही करती और ना ही नीचे बैठती है।

एक ही जगह खड़े होकर करें परिक्रमा

ऊब छठ के व्रत का नियम है कि जब तक चांद नहीं दिखेगा तब तक महिलाओं को खड़े रहना पड़ता है। व्रती मंदिरों में ठाकुरजी के दर्शन कर पूजा अर्चना करके परिवार के सुख-समृद्धि की कामना करती हैं और खड़े रहकर पौराणिक कथाओं का श्रवण करती हैं। चंद्रोदय पर चाँद को अर्ध्य देकर पूजा-अर्चना की जाती है। चाँद को जल के छींटे देकर कुमकुम, चन्दन, मोली, अक्षत और भोग अर्पित करते हैं। कलश से जल चढ़ायें। एक ही जगह खड़े होकर परिक्रमा करें। अर्ध्य देने के बाद व्रत का पालना करती है। लोग व्रत खोलते समय अपने मान्यता के अनुसार नमक वाला या बिना नमक का खाना खाते है।

ऊब छठ व्रत कथा

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि ऊब छठ का व्रत और पूजा करते समय ऊब छठ व्रत कथा सुनते है, जिससे व्रत का पूरा फल प्राप्त हो सके। किसी गांव में एक साहूकार और इसकी पत्नी रहते थे। साहूकार की पत्नी रजस्वला होने पर भी सभी प्रकार के काम कर लेती थी। रसोई में जाना, पानी भरना, खाना बनाना, सब जगह हाथ लगा देती थी। उनके एक पुत्र था। पुत्र की शादी के बाद साहूकार और उसकी पत्नी की मृत्यु हो गई। अगले जन्म में साहूकार एक बैल के रूप में और उसकी पत्नी कुतिया बनी।

चील के मुँह से छूटकर खीर में गिर गया सांप

ये दोनों अपने पुत्र के यहाँ ही थे। बैल से खेतों में हल जुताया जाता था और कुतिया घर की रखवाली करती थी। श्राद्ध के दिन पुत्र ने बहुत से पकवान बनवाये। खीर भी बन रही थी। अचानक कही से एक चील जिसके मुँह में एक मरा हुआ साँप था, उड़ती हुई वहाँ आई। वो सांप चील के मुँह से छूटकर खीर में गिर गया। कुतिया ने यह देख लिया। उसने सोचा इस खीर को खाने से कई लोग मर सकते है। उसने खीर में मुँह अड़ा दिया ताकि उस खीर को लोग ना खाये। पुत्र की पत्नी ने कुतिया को खीर में मुँह अड़ाते हुए देखा तो गुस्से में एक मोटे डंडे से उसकी पीठ पर मारा। तेज चोट की वजह से कुतिया की पीठ की हड्डी टूट गई। उसे बहुत दर्द हो रहा था। रात को वह बैल से बात कर रही थी।

कुतिया माँ और बैल पिता है

उसने कहा तुम्हारे लिए श्राद्ध हुआ तुमने पेट भर भोजन किया होगा। मुझे तो खाना भी नहीं मिला, मार पड़ी सो अलग। बैल ने कहा– मुझे भी भोजन नहीं मिला, दिन भर खेत पर ही काम करता रहा। ये सब बातें बहु ने सुन ली और उसने अपने पति को बताया। उसने एक पंडित को बुलाकर इस घटना का जिक्र किया। पंडित में अपनी ज्योतिष विद्या से पता करके बताया की कुतिया उसकी माँ और बैल उसके पिता है। उनको ऐसी योनि मिलने का कारण माँ द्वारा रजस्वला होने पर भी सब जगह हाथ लगाना, खाना बनाना, पानी भरना था। उसे बड़ा दुःख हुआ और माता पिता के उद्धार का उपाय पूछा।

कुँवारी कन्या करे षष्टी यानि ऊब छठ का व्रत

पंडित ने बताया यदि उसकी कुँवारी कन्या भाद्रपद कृष्ण पक्ष की षष्टी यानि ऊब छठ का व्रत करे। शाम को नहा कर पूजा करे उसके बाद बैठे नहीं। चाँद निकलने पर अर्ध्य दे। अर्ध्य देने पर जो पानी गिरे वह बैल और कुतिया को छूए तो उनका मोक्ष हो जायेगा। जैसा पंडित ने बताया था कन्या ने ऊब छठ का व्रत किया, पूजा की। चाँद निकलने पर चाँद को अर्ध्य दिया। अर्ध्य का पानी जमीन पर गिरकर बहते हुए बैल और कुतिया पर गिरे ऐसी व्यवस्था की। पानी उन पर गिरने से दोनों को मोक्ष प्राप्त हुआ और उन्हें इस योनि से छुटकारा मिल गया। हे! ऊब छठ माता, जैसे इनका किया वैसे सभी का उद्धार करना। कहानी लिखने वाले और पढ़ने वाले का भला करना। बोलो छठ माता की…. जय !!

छठी माता के पति कौन थे?

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, छठी माता का सीधा पति स्वरूप उल्लेख शास्त्रों में नहीं मिलता। लोककथाओं में उन्हें भगवान सूर्य की बहन या शक्ति का रूप माना जाता है, इसलिए उनके पति का कोई विशेष नाम धार्मिक ग्रंथों में निर्दिष्ट नहीं किया गया है।

छठी मैया का इतिहास क्या है?

लोकमान्यता है कि छठी मैया प्राचीन काल से सूर्य उपासना से जुड़ी हैं। वैदिक काल में षष्ठी तिथि पर सूर्य देव और उनकी बहन का पूजन होता था। छठ पर्व की उत्पत्ति सूर्य को अर्घ्य देने और स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि के लिए आशीर्वाद लेने की परंपरा से मानी जाती है।

National: चुनावी कानूनों के घोर उल्लंघनों से भरा हुआ है सोनिया गांधी का रिश्ता : अमित मालवीय

Breaking News: Dussehra: दशहरा: शक्ति और सत्य की विजय

Breaking News: Dussehra: दशहरा: शक्ति और सत्य की विजय

Breaking News: Navami: नवमी पर हवन की विधि और सामग्री

Breaking News: Navami: नवमी पर हवन की विधि और सामग्री

Latest Hindi News : अनोखा धार्मिक उत्सव : पंडाल में EVM और 18 देवी-देवताओं का संगम

Latest Hindi News : अनोखा धार्मिक उत्सव : पंडाल में EVM और 18 देवी-देवताओं का संगम

Breaking News: Durga: माँ दुर्गा की आराधना

Breaking News: Durga: माँ दुर्गा की आराधना

Breaking News: Navratri: नवरात्रि के जौ के अंकुर

Breaking News: Navratri: नवरात्रि के जौ के अंकुर

Breaking News: Kanya Pujan:नवरात्रि 2025: कन्या पूजन की तिथि

Breaking News: Kanya Pujan:नवरात्रि 2025: कन्या पूजन की तिथि

Breaking News: Betel: नवरात्रि में पान के पत्तों के चमत्कारिक उपाय

Breaking News: Betel: नवरात्रि में पान के पत्तों के चमत्कारिक उपाय

Breaking News: Durga Ashtami: नवरात्रि अष्टमी-नवमी पूजन तिथि स्पष्ट

Breaking News: Durga Ashtami: नवरात्रि अष्टमी-नवमी पूजन तिथि स्पष्ट

Latest News Rajasthan : शक्ति पीठ, सरपंच से लेकर PM तक नवाते हैं शीश

Latest News Rajasthan : शक्ति पीठ, सरपंच से लेकर PM तक नवाते हैं शीश

Hindi News: वैष्णो देवी और विंध्याचल धाम में नवरात्रि पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, गूंज रही ‘जय माता दी’ की जयकार

Hindi News: वैष्णो देवी और विंध्याचल धाम में नवरात्रि पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, गूंज रही ‘जय माता दी’ की जयकार

Hindi News: नवरात्रि का पहला दिन; विंध्यांचल धाम सहित माता के मंदिरों में उमड़ा सैलाब, भक्तों ने की मां शैलपुत्री की आराधना

Hindi News: नवरात्रि का पहला दिन; विंध्यांचल धाम सहित माता के मंदिरों में उमड़ा सैलाब, भक्तों ने की मां शैलपुत्री की आराधना

Hindi News: वैष्णो देवी यात्रा फिर शुरू; लैंडस्लाइड के बाद श्रद्धालुओं का जत्था उमड़ पड़ा, नवरात्रि पर बोर्ड ने किए पुख्ता इंतजाम

Hindi News: वैष्णो देवी यात्रा फिर शुरू; लैंडस्लाइड के बाद श्रद्धालुओं का जत्था उमड़ पड़ा, नवरात्रि पर बोर्ड ने किए पुख्ता इंतजाम

📢 For Advertisement Booking: 98481 12870