नया महासागर : दो टुकड़ों में टूट जाएगा ये देश… वैज्ञानिकों का खुलासा
East Africa Tectonic Plates Separation: धरती के भितरी सतह के हिस्से में हलचल होती रहती है। ये हलचलें ऊपर की दुनिया को लेकर बहुत कुछ तय करती है। मसलन, ऊपर की तरफ जमीन होगी, या पानी या फिर कुछ और। अब पूर्वी अफ्रीका को लेकर वैज्ञानिक मान रहे हैं कि वहां कुछ बड़ा बदलाव हो रहा है। साइंटिस्ट का कहना है कि पूर्वी अफ्रीका देश की सतह के नीचे एक शांत और धीमी गति से बदलाव सामने आ रहा है। यह एक ऐसा बदलाव है जो न केवल कॉन्टिनेंट बल्कि वैश्विक मानचित्र को भी बदल सकता है। इस क्षेत्र में गहरी टेक्टोनिक गतिविधि का इंस्पेक्शन करने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि अफ्रीका धीरे-धीरे दो भागो में बंट रहा है। अगर यह गति जारी रहती है, तो यह आखिरकार महाद्वीप के आर-पार एक नया महासागर बना सकता है।
नया महासागर : पूर्वी अफ्रीका में क्या हो रहा है?
यह जियोलॉजिकल प्रोसेस रोजमर्रा की जिंदगी से बहुत दूर है। रिसर्चर को उन शक्तियों के बारे में बहुमूल्य जानकारी मिल रही है, जिन्होंने करोड़ों सालों से पृथ्वी को आकार दिया है। ईस्ट अफीकन रिफ्ट प्लानेट ग्रह पर सबसे एक्टिव फॉल्ट सिस्टम्स में से एक है। यह इथियोपिया, केन्या और तंजानिया जैसे देशों में फैला हुआ है। दिलचस्प बात यह है कि यह उस सीमा को भी चिह्नित करता है जहां अफ्रीकी प्लेट धीरे-धीरे अलग हो रही है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वक्त के साथ इस आइसोलेशन के कारण दो अलग-अलग टेक्टोनिक प्लेटें बन गई हैं, जिनमें पश्चिम में न्युबियन प्लेट और पूर्व में सोमालियाई प्लेट।
नया महासागर : वैज्ञानिकों ने किया दावा
हालांकि, ये धीरे-धीरे हो रही है। हर साल महज कुछ मिलीमीटर तक। लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके परिणाम बहुत बड़े हैं। TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर यह टेक्टोनिक बहाव जारी रहता है तो समुद्री जल आखिरकार प्लेटों के बीच की चौड़ी होती खाई को भर सकता है, जिससे एक नया महासागर बन सकता है और अफ्रीका के पूर्वी हिस्से को महाद्वीप के बाकी हिस्सों से अलग कर सकता है।
सतही दरारें और वैज्ञानिक बहस
दरअसल, 2018 में केन्या की रिफ्ट घाटी में भी एक दरार दिखाई दी थी, जिसने लोगों का ध्यान खींचा और महाद्वीप के फ्यूचर के बारे में अटकलों को हवा दी। कुछ लोगों ने इसे धरती के टूटने का डाइरेक्ट एविडेंस माना। जबकि, एक्सपर्ट्स ने एक व्याख्या पेश की। जैसा कि रिपोर्ट में बताया गया है कि रिसर्चर स्टीफन हिक्स ने सुझाव दिया कि इस कारण सतह के करीब हो सकता है। उन्होंने कहा, हाल ही में हुई बारिश से मिट्टी का कटाव’ अकेले टेक्टोनिक गतिविधि के बजाय दरार को ट्रिगर कर सकता है।
नया महासागर : कई और जियोलॉजिस्ट्स ने किया इशारा
इसी वक्त कई और जियोलॉजिस्ट्स ने बड़े संदर्भ की तरफ इशारा किया। रिपोर्ट के मुताबिक, इस इलाके का स्टडी करने वाले डेविड एडेड ने बताया कि पूर्वी अफ्रीकी दरार में टेक्टोनिक और वॉलकेनिक एक्टिविटी का इतिहास है। उनके मुताबिक, ये अंतर्निहित भूगर्भीय ताकतें इस क्षेत्र को प्रभावित करना जारी रखती हैं, भले ही सतह पर उनका प्रभाव हमेशा तुरंत दिखाई न दे।
अभी भी किया जा रहा है स्टडी
जैसा कि रिपोर्ट में बताया गया है, लूसिया पेरेज़ डियाज़ ने भी इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हालांकि ऐसी दरारों के पीछे की सटीक वजह का अभी भी स्टडी किया जा रहा है। लेकिन टेक्टोनिक शिफ्ट से इनकार नहीं किया जा सकता है। दरार की हरकतें अंतर्निहित फॉल्ट लाइनों से जुड़ी हो सकती हैं।
फ्यूचर में क्या हो सकता है?
रिपोर्ट के अनुसार, जबकि पूर्वी अफ्रीकी देश को पूरी तरह से बदलने में में 50 मिलियन वर्ष लग सकते हैं, वैज्ञानिकों का मानना है कि इसका नतीजे में एक नए महासागर बेसिन का निर्माण हो सकता है। नेशनल जियोग्राफिक के मुताबिक, यह प्रक्रिया सोमाली प्लेट को न्युबियन प्लेट से अलग कर सकती है, जिससे संभावित रूप से मेडागास्कर जैसा भूभाग बन सकता है।