जीएसटी बदलाव और बढ़ती मांग से सहारा
नई दिल्ली: भारत की अर्थव्यवस्था(Economy) आने वाले महीनों में और मजबूती से उभरने की उम्मीद है। वित्त मंत्रालय के अनुसार जुलाई 2025 के शुरुआती संकेत बताते हैं कि विकास की गति बनी हुई है। त्योहारों के दौरान घरेलू मांग बढ़ने और जीएसटी(GST) दरों में बदलाव से अर्थव्यवस्था(Economy) को अतिरिक्त सहारा मिलेगा। हालांकि मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि टैरिफ से जुड़ी अनिश्चितताएं निर्यात और पूंजी निवेश को प्रभावित कर सकती हैं।
मजबूत बुनियाद और बढ़ते क्षेत्र
वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि अर्थव्यवस्था(Economy) की बुनियाद बेहद मजबूत है। मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र ने अप्रैल-जून 2025 में 7.7% की वृद्धि दर्ज की, जबकि सर्विस सेक्टर में 9.3% की जबरदस्त बढ़ोतरी हुई। कृषि क्षेत्र ने भी अच्छा प्रदर्शन करते हुए 3.7% की वृद्धि दर्ज की, जो पिछले साल के 1.5% की तुलना में कहीं अधिक है।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा कि पहली तिमाही के जीएसटी आंकड़े उम्मीद से बेहतर हैं। उन्होंने अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप(Trump) की उस टिप्पणी का जवाब देते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ‘जिंदा’ है और मजबूती से आगे बढ़ रही है।
बढ़ा सरकारी और निजी खर्च
सरकार का अंतिम उपभोग व्यय पहली तिमाही में 9.7% तक बढ़ा है, जबकि पिछले साल यह 4.0% था। इसका सीधा असर आम जनता की जरूरतों पर पड़ रहा है। इसी तरह निजी अंतिम उपभोग व्यय (PFCE) 60.3% तक पहुंच गया है, जो पिछले 15 वर्षों में पहली तिमाही का सबसे ऊंचा स्तर है।
सरकार का पूंजीगत व्यय भी लगातार बढ़ रहा है। इसमें सड़कों, पुलों, अस्पतालों और आधारभूत ढांचे पर निवेश शामिल है। त्योहारों के दौरान घरेलू खपत में इजाफा और जीएसटी दरों में किए गए बदलाव भविष्य में विकास को और गति दे सकते हैं।
पहली तिमाही में सबसे ज्यादा वृद्धि किस क्षेत्र में हुई?
सर्विस सेक्टर में सबसे अधिक 9.3% की वृद्धि दर्ज हुई है। इसके अलावा मैन्युफैक्चरिंग और कृषि क्षेत्र ने भी स्थिर और बेहतर प्रदर्शन किया है।
सरकार के पूंजीगत व्यय का क्या महत्व है?
पूंजीगत व्यय से सड़कों, पुलों, अस्पतालों और आधारभूत ढांचे का विकास होता है। यह न केवल रोजगार सृजन करता है, बल्कि अर्थव्यवस्था की दीर्घकालिक मजबूती की नींव रखता है।
त्योहारों का सीजन अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करेगा?
त्योहारों में लोग बड़ी मात्रा में खरीदारी करते हैं, जिससे मांग बढ़ती है। बढ़ती मांग का सीधा असर उत्पादन और सेवाओं पर पड़ता है, जो अर्थव्यवस्था को नई गति देता है।
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