भगवान विष्णु की करवट बदलने की तिथि
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे परिवर्तिनी या जलझूलनी एकादशी(Ekadashi) कहा जाता है, इस वर्ष 3 सितंबर को मनाई जा रही है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु(Vishnu) क्षीरसागर में योगनिद्रा के दौरान करवट बदलते हैं। इसे चातुर्मास का महत्वपूर्ण चरण माना जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस व्रत से मोक्ष की प्राप्ति होती है और पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है।
व्रत का महत्व और पूजन विधि
स्कंद पुराण और पद्म पुराण में एकादशी(Ekadashi) व्रत के महत्व का विस्तार से वर्णन है। इस तिथि को भगवान विष्णु की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है। भक्त सुबह स्नान के बाद गंगाजल से अभिषेक कर लक्ष्मी(Lakshmi) सहित विष्णु जी की आराधना करते हैं। तुलसी दल, पीले पुष्प, फल, केसर मिश्रित दूध और दीप अर्पित करना शुभ माना जाता है।
व्रतधारी को दिनभर उपवास रखना चाहिए और केवल फलाहार या जल का सेवन करना चाहिए। रातभर भजन-कीर्तन और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। अगले दिन द्वादशी पर दान और भोजन कराने के बाद ही व्रती स्वयं भोजन करते हैं।
लक्ष्मी-नारायण पूजन और शुभ योग
एकादशी(Ekadashi) पर लक्ष्मी-नारायण की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। दक्षिणावर्ती शंख में केसरयुक्त दूध भरकर विष्णु जी का अभिषेक करने से मनोकामनाएं पूरी होने की मान्यता है। इस बार एकादशी बुधवार को पड़ रही है और गणेश उत्सव भी चल रहा है, जिससे इसका महत्व और बढ़ गया है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार बुधवार का स्वामी बुध ग्रह है, जो बुद्धि और वाणी का कारक है। ऐसे में गणेश जी और विष्णु जी की संयुक्त पूजा करने से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन गणेश जी को दूर्वा की 21 गांठें चढ़ाने और 108 बार श्री गणेशाय नमः मंत्र का जाप करने की परंपरा है।
बुध ग्रह की आराधना और लाभ
बुध ग्रह की कृपा पाने के लिए इस दिन हरे मूंग का दान करना शुभ माना जाता है। ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुद्धाय नमः मंत्र का 108 बार जप करने से व्यापार और वाणी में सफलता मिलती है। बुध ग्रह की प्रतिमा का अभिषेक कर दीप जलाकर आरती करने से ग्रहदोष शांत होते हैं।
शास्त्रों के अनुसार, व्रत, दान और तप शक्ति के अनुसार अवश्य करना चाहिए। इस बार परिवर्तिनी एकादशी का संयोग भक्तों को तीनों देवताओं के आशीर्वाद का अवसर प्रदान कर रहा है।
परिवर्तिनी एकादशी का धार्मिक महत्व क्या है?
मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा में करवट बदलते हैं। इस व्रत से मोक्ष की प्राप्ति होती है और भक्त पापों से मुक्त होकर विष्णु लोक की प्राप्ति करता है।
इस वर्ष एकादशी का विशेष योग क्यों महत्वपूर्ण है?
इस बार एकादशी बुधवार को है और गणेश उत्सव भी साथ चल रहा है। इसलिए विष्णु जी, गणेश जी और बुध ग्रह की पूजा का शुभ संयोग बन रहा है, जो अत्यंत फलदायी माना जाता है।
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